एक्सप्लोरर

रिजेक्शन से एडिक्शन तक कैसे बचाएं टीनएज बच्चों को, कहीं जुनून न छीन ले आपके बच्चे का सुकून

एक ज़िद ऐसी है जो कभी ख्वाहिश थी, एक जूनून ऐसा भी है जो कभी सुकून था।
एक रास्ता ऐसा है जो अब मंज़िल बन चुका है, एक दाग ऐसा है जो अब निशानी बन चुका है।।

किसी शायर की ये पंक्तियां आजकल के टीनएज बच्चों पर उस वक्त सही बैठती हैं, जब उनका कोई जुनून लत बन जाता है. हम सब जानते हैं कि जिंदगी में कुछ पाना है, कुछ हासिल करना है तो उसके लिए जोश और जुनून पैदा करना जरूरी है, लेकिन एक हद के बाद जुनून खतरनाक साबित हो सकता है. ख़ासकर जुनून अगर किसी नकारात्मक चीज के लिए हो तो लत बनते देर नहीं लगती. वैसे, लत से बचना या फिर उससे निकलना थोड़ा मुश्किल जरूर है, पर नामुमकिन नहीं. किशोरावस्था ऐसी उम्र है, जिसमें किसी भी नकारात्मक चीज के प्रति आकर्षण ज्यादा आसानी से होता है. अगर बात करें कि ऐसी कौन-सी लत हैं, जो आसानी से किशोरों को अपनी ओर खींच लेती हैं और उनका समाधान क्या हो सकता है तो जवाब नीचे है..

अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षण

किशोरावस्था में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण होना बेहद सामान्य है. इस उम्र में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों की वजह से इस तरह का आकर्षण होना आम है, लेकिन कुछ किशोर इस आकर्षण को प्यार समझ लेते हैं और अपने 'कथित' प्यार को पाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं. उसे महंगे-महंगे गिफ्ट देना, महंगे रेस्तरां में ट्रीट देना, देर रात तक पार्टी करना जैसे कामों में पैसे खर्च करने लगते हैं. खर्चे पूरे न होने पर कई बार झूठ का सहारा भी लेने लगते हैं. इससे भी खराब स्थिति तब होती है, जब उनकी पसंद का लड़का या लड़की उसके प्रपोजल को स्वीकार नहीं करता या ब्रेकअप करने की सोचता है.

किशोर इसे अपनी बेइज्जती समझ लेते हैं और रिजेक्शन को स्वीकार नहीं कर पाते. वहीं, कुछ ऐसे किशोर भी हैं, जो बार-बार गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड बदलते हैं. वे रिश्तों को मजाक बना लेते हैं. ये दोनों ही स्थितियां सही नहीं हैं. कई बार किशोर कैजुअल सेक्स और पोर्नोग्राफी की तरफ भी चले जाते हैं.

क्या है इस समस्या का समाधान?

सबसे जरूरी है कि माता-पिता बच्चों के साथ लगातार बातचीत करें और नजदीकी रिश्ता बनाएं. इससे बच्चा आपके साथ हर बात शेयर करेगा. सेक्स जैसे विषय से भागने के बजाय उनकी जिम्मेदारी है कि पेरेंट्स बच्चों से इस बारे में आराम से खुलकर बात करें. माता-पिता में से जो भी बच्चे के ज्यादा करीब है, वह उसे सुरक्षित यौन संबंधों की जानकारी दे. बच्चे को समझाएं कि अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षण में कोई बुराई नहीं है, लेकिन हर चीज की एक लिमिट होनी चाहिए. पैसे या गिफ्ट देकर फौरी रिश्ते बनाए जा सकते हैं, लॉन्ग टर्म रिश्ते नहीं. यह उम्र प्यार मोहब्बत के बजाय पढ़ाई और करियर पर फोकस करने की है.

रिजेक्शन स्वीकार करने की संवेदनशीलता

बच्चों को रिजेक्शन और नाकामी स्वीकार करना भी सिखाएं. नेगेटिव इमोशन को डील करने के लिए बच्चों को कोपिंग स्किल्स जैसे कि गार्डनिंग करना, घर साफ करना, किसी की मदद करना, कुछ स्पोर्ट्स खेलना आदि भी सिखाएं. बच्चों को यह सिखाना भी जरूरी है कि जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि आप जो सोचते हैं, जो चाहते हैं, वैसा नहीं होता इसलिए जो सामने है, उसे स्वीकार करना भी बहुत जरूरी है. कभी माता-पिता को जानकारी मिले कि बच्चे से कोई गलती हुई है तो उसे ताने मारने या मारने-पीटने के बजाय प्यार से उसके साइड इफेक्ट्स या नुकसान के बारे में समझाएं. साथ ही, गिल्ट से निकलने में भी उसकी मदद करें.

बच्चों में ऑनलाइन गेम्स का एडिक्शन

ऑनलाइन गेम्स की लत से इन दिनों ज्यादातर किशोर जूझ रहे हैं. वे दिन रात ऑनलाइन गेम्स में बिजी रहते हैं. इसका असर उनकी पढ़ाई से लेकर सेहत और रिश्तों पर पड़ने लगता है. परेशानी की बात यह है कि कई गेम्स तो आत्मघाती होते हैं. वे बच्चों ख़ासकर किशोरों को अपनी ओर खींचते हैं. ये गेम्स बच्चों को हिंसक बनाते हैं और कई बार तो दूसरों के खिलाफ या फिर खुद अपने खिलाफ आत्मघाती कदम उठाने के लिए उकसाते हैं. ब्लू वेल ऐसा ही एक गेम है, जो कुछ साल पहले खासा चर्चा में रहा था.

ऐसे तमाम गेम्स हैं, जो बच्चों को आत्मघाती कदम उठाने के लिए उकसाते हैं या फिर नकारात्मक बर्ताव को बढ़ाते हैं. इस उम्र में खराब चीजों के प्रति झुकाव जल्दी होता है. ओटीटी पर जाकर हिंसक या यौन गतिविधियों से जुड़ी मूवी या शो देखने की लत भी इस उम्र के बहुत से बच्चों में देखी जाती है.

ऑनलाइन गतिविधियों पर हो निगाह, जासूसी नहीं

पेरेंट्स कितने भी बिजी हों, उनकी जिम्मेदारी है कि वे बच्चों पर निगाह रखें कि वे ऑनलाइन कौन-से प्रोग्राम देखते हैं, सोशल मीडिया पर किससे जुड़े हुए हैं और कौन-से गेम खेलते हैं. वैसे, यहां भी पेरेंट्स को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है. उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप उसकी जासूसी कर रहे हैं. बच्चों के साथ बैठकर एक नियम बनाएं कि वे कितनी देर तक मोबाइल या लैपटॉप इस्तेमाल कर सकते हैं. इस उम्र के बच्चों को बहुत ज्यादा दखल पसंद नहीं आता, इसलिए बार-बार ताना न मारें कि दिन भर मोबाइल या लैपटॉप में बिजी रहते हो. वैसे, बच्चे के बर्ताव में बदलाव दिखे, मसलन वह लगातार उदास दिखे, उसका रूटीन गड़बड़ होने लगे, पढ़ाई में पिछड़ने लगे तो उससे आराम से बात करें और जरूरी लगे तो काउंसलर या सायकॉलजिस्ट से मिलवाएं.

सोशल मीडिया पर चमक-धमक

सोशल मीडिया पर लाइक्स और कमेंट्स पाना किशोरों के लिए बेहद अहम हो गया है. सोशल मीडिया पर खुद को प्रभावी, कामयाब और पैसे वाला दिखाना आज के किशोरों के लिए बेहद ख़ास हो गया है. सोशल मीडिया पर मिलनेवाली वाहवाही को ही वे सब कुछ मान बैठे है. सोशल मीडिया से इतर, बड़े ब्रैंड के कपड़े पहनना, महंगे रेस्तरां या डिस्को में जाना, दोस्तों के साथ घूमना-फिरना, ये सब भी किशोरों के लिए काफी मायने रखने लगा है. कुछ किशोर पढ़ाई-लिखाई से ज्यादा फौरी कामयाबी हासिल कर रातों-रात स्टार बनना चाहते हैं.

बच्चों को मीडिया लिटरेसी सिखाना जरूरी

इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में बच्चों को मीडिया लिटरेसी सिखाना जरूरी है. बच्चों को यह बताना जरूरी है कि जो जैसा दिखता है, वैसा ही हो, यह जरूरी नहीं है. हर चीज पर आंख मूंद कर भरोसा करने के बजाय खुद से सवाल करना सीखें. पेरेंट्स को छोटी उम्र में ही बच्चों को जिंदगी का असल मकसद तलाशने में मदद करनी चाहिए. इससे वे फालतू की चमक-दमक में भटकेंगे नहीं. बच्चों को उदाहरण देकर यह समझाना जरूरी है कि स्पोर्ट्स हो या सिनेमा या फिर कोई और फील्ड, कोई भी बिना मेहनत रातों-रात स्टार नहीं बनता. उन्हें यह समझाना भी जरूरी है कि अपनी खुशी या कामयाबी का पैमाना कभी भी दूसरों की मुहर नहीं हो सकती. सबसे जरूरी खुद पर विश्वास है. बच्चों के साथ कम्युनिकेशन बनाए रखें क्योंकि जिन बच्चों के पेरेंट्स के साथ ताल्लुक अच्छे होते हैं, वे जल्दी दूसरों से प्रभावित नहीं होते और खुद से खुश रहते हैं.

स्मोकिंग और ड्रग्स का शिकंजा

मीडिया, फिल्म और सोशल मीडिया के प्रभाव में किशोरों में स्मोकिंग या ड्रिंकिंग का चलन आम हो चला है. यहां तक कि लड़कियों में भी स्मोकिंग या ड्रिंकिंग कॉमन हो गई है. ज्यादातर पेरेंट्स भी सोशल ड्रिंकिंग करते हैं तो देखा-देखी बच्चे भी ऐसा ही करने लगते हैं. लेकिन इस उम्र में  सही-गलत और लिमिट का अनुमान नहीं होता, इसलिए कभी-कभार ट्राई करना कब लत में बदल जाता है, पता ही नहीं चलता.

स्मोकिंग और ड्रग्स से कैसे बचाएं?

अगर पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चे सही रास्ते पर चलें तो सबसे पहले खुद रोल मॉडल बनें. अगर वे खुद स्मोकिंग या ड्रिंकिंग करते हैं तो बच्चों को मना नहीं कर पाएंगे और न ही बच्चे उनकी बात समझेंगे. बच्चों को हर बात पर रोकने के बजाय उस काम के लिए उपयुक्त उम्र और लिमिट समझाएं. बच्चों के दोस्तों के बारे में पूरी जानकारी रखें. उनका रहन-सहन, कैरेक्टर कैसा है, इस सबका ध्यान रखें. बच्चों के दोस्तों से मिलें और वक्त-वक्त पर उन्हें घर भी बुलाएं. अगर कोई दोस्त पैरेंट्स को पसंद नहीं है तो बच्चे को उस बारे में बताएं और इसकी वजह भी बताएं. जहां पेरेंट्स के साथ बच्चों का कम्युनिकेशन बना रहता है, वहां बच्चों के भटकने के चांस काफी कम हो जाते हैं.   

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]   

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

एटम बमों पर बैठा एशिया! भारत-चीन-पाकिस्तान समेत 8 देशों की दुश्मनी भड़का रही परमाणु युद्ध आग
एटम बमों पर बैठा एशिया! भारत-चीन-पाकिस्तान समेत 8 देशों की दुश्मनी भड़का रही परमाणु युद्ध आग
दशाश्वमेध घाट पर गंगा को नमन, क्रूज की सवारी से नमो घाट रवाना हुए पीएम मोदी, देखें तस्वीरें
दशाश्वमेध घाट पर गंगा को नमन, क्रूज की सवारी से नमो घाट रवाना हुए पीएम मोदी, देखें तस्वीरें
केएल राहुल पर पब्लिकली भड़के थे संजीव गोयनका, अब पत्नी अथिया शेट्टी ने शेयर किया पोस्ट
अथिया शेट्टी ने शेयर किया क्रिप्टिक पोस्ट, केएल राहुल का वीडियो हुआ था वायरल
Maruti First Car: Maruti की पहली कार, जिसने ला दी थी ऑटो सेक्टर में क्रांति, 80 के दशक में थी ये कीमत
Maruti की पहली कार, जिसने लाई ऑटो सेक्टर में क्रांति, 80 के दशक में थी ये कीमत
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Podcast: क्या मतलब है होता Kafir का Dharma LiveLoksabha Election 2024: पीएम मोदी के नामांकन से जुड़ी पूरी अपडेट | ABP News | Breakingये ग्रह है कुंडली में अच्छा तो होंगे मालामाल! Dharma Liveबंद कमरे में रिश्तों की अदला-बदली! | Sansani

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
एटम बमों पर बैठा एशिया! भारत-चीन-पाकिस्तान समेत 8 देशों की दुश्मनी भड़का रही परमाणु युद्ध आग
एटम बमों पर बैठा एशिया! भारत-चीन-पाकिस्तान समेत 8 देशों की दुश्मनी भड़का रही परमाणु युद्ध आग
दशाश्वमेध घाट पर गंगा को नमन, क्रूज की सवारी से नमो घाट रवाना हुए पीएम मोदी, देखें तस्वीरें
दशाश्वमेध घाट पर गंगा को नमन, क्रूज की सवारी से नमो घाट रवाना हुए पीएम मोदी, देखें तस्वीरें
केएल राहुल पर पब्लिकली भड़के थे संजीव गोयनका, अब पत्नी अथिया शेट्टी ने शेयर किया पोस्ट
अथिया शेट्टी ने शेयर किया क्रिप्टिक पोस्ट, केएल राहुल का वीडियो हुआ था वायरल
Maruti First Car: Maruti की पहली कार, जिसने ला दी थी ऑटो सेक्टर में क्रांति, 80 के दशक में थी ये कीमत
Maruti की पहली कार, जिसने लाई ऑटो सेक्टर में क्रांति, 80 के दशक में थी ये कीमत
Elon Musk: 'एलन मस्क को चीन में लूट लिया जाएगा, भारत की बजाय चीन को चुनकर बन गए लूजर'
'एलन मस्क को चीन में लूट लिया जाएगा, भारत की बजाय चीन को चुनकर बन गए लूजर' 
Khatron Ke Khiladi 14: अदिति शर्मा से लेकर नियति फतनानी तक, 'खतरों के खिलाड़ी' 14 के लिए कन्फर्म हुए ये पॉपुलर स्टार्स!
'खतरों के खिलाड़ी' 14 के लिए कन्फर्म हुए ये पॉपुलर स्टार्स!
मां सोनिया गांधी क्यों हुई थीं नाराज, राहुल गांधी ने रायबरेली में कर दिया खुलासा
मां सोनिया गांधी क्यों हुई थीं नाराज, राहुल गांधी ने रायबरेली में कर दिया खुलासा
Spam Calls: बिजनेस कॉल और मैसेज पर लगाम कसने की तैयारी कर रही सरकार, जल्द आएंगे नए नियम 
बिजनेस कॉल और मैसेज पर लगाम कसने की तैयारी कर रही सरकार, जल्द आएंगे नए नियम 
Embed widget