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अमेरिका का इजरायल को अंधा समर्थन है मिडिल ईस्ट कूटनीति की बड़ी चूक

हमास द्वारा इजरायल में किए हमले के तुरंत बाद अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल को गाज़ा पट्टी पर जवाबी हमला करने की हरी झंडी और खुली छूट दे दी. बाइडेन के इस अंध समर्थन से वॉशिंगटन ने कई बड़ी गलतियां कर डाली, जिस के कारण  अब इजरायल–हमास के बीच की लड़ाई ने पूरे मिडिल ईस्ट खित्ते को एक बड़े युद्ध के कगार पर ला खड़ा कर दिया है! हमास हमले के तुरंत बाद अमरीकी राष्ट्रपति ने आननफानन में जो बयान दिए उसने न सिर्फ फिलिस्तीनी समर्थक नाराज हुए बल्कि बड़े-बड़े इजरायल समर्थक भी खुद को चिकोटी काटने पर मजबूर हो गए कि बाइडेन ने यह क्या कर दिया? 

इजरायल ने उड़ाई युद्ध-नियमों की धज्जी

बाइडेन ने हमले के तीसरे दिन दिए गए भाषण में गलती से इजरायल द्वारा फैलाए गए उस नैरेटिव को समर्थन  दे दिया कि हमास के आतंकयों ने इजरायली बच्चों के सर काट दिए हैं, हालांकि बाद में व्हाइट हाउस ने इस टिप्पणी को वापस ले लिया. उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल के साथ अमेरिका न सिर्फ चट्टान की तरह खड़ा रहेगा ( "Rock Solid" and "Unwavering") बल्कि इस लड़ाई में इजरायल को जिस प्रकार का भी समर्थन चाहिए. अमेरिका उसे देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल के उस बयान को भी मान लिया कि हमास गाज़ा के आम नागरिकों को मानव आवरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. अमेरिका से खुला समर्थन पाकर इजरायल के नेतृत्व ने दुनिया को यह साफ जाहिर कर दिया कि वो हमास हमले की जवाबी कार्रवाई में युद्ध के नियमों को मानने के लिए बाध्य नहीं होगा. बाद में इजरायल ने ऐसा ही किया.

इजरायल द्वारा गाज़ा पट्टी पर अंधाधुंध एवं असंगत हमलों ने युद्ध के नियमों की धज्जियां उड़ा दी. स्कूल्स, कॉलेज, UN facilities, मस्जिद, यहाँ तक की अस्पतालों तक को नहीं बख्शा गया. बुधवार यानी 18 अक्टूबर को बाइडेन के तेल अवीव में लैंड करने से पहले इजरायल ने गाज़ा स्थित अल अहली हॉस्पिटल को बॉम्ब से उड़ा दिया जिसमे लगभग 500 लोग मारे गए और 300 के करीब ज़ख्मी हुए. इनमे से अधिकतर की हालत गंभीर बताई जाती है. रिपोर्टर्स के अनुसार गाज़ा के लगभग दो दर्जन अस्पतालों को इजरायल ने हमले की चेतावनी दे दी है. 

इस हमले से इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री (नेशनल सेक्योरिटी मिनिस्टर) इतमार बेनग्विर काफी प्रसन्न और संतुष्ट नजर आए. वो इतने उतावले थे कि उन्होंने समय से पहले ही इस हमले की जिम्मेदारी कुबूल करते हुए लिखा, "जबतक हमास अपने कब्जे में लिए बंधकों को रिहा नहीं करता, तब तक वायु सेना को गाज़ा में सैकड़ों टन  विस्फोटक डालते रहने की जरूरत है; विस्फोटक के अलावा मानवीय सहायता की एक रत्ती भी नहीं जाने दी जाएगी". हनाया नफ्ताली जो इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की डिजिटल टीम के लिए काम करते हैं, ने X पर लिखा, "BREAKING: इजरायली एयर फोर्स ने गाज़ा स्थित अस्पताल के अंदर हमास आतंकियों के एक ठिकाने पर हमला किया है". इस पोस्ट को उन्होंने तुरन्त ही डिलीट भी कर दिया. बाद में इजरायली आर्मी के एक प्नवक्ता ने कहा कि यह हमला हमास ने खुद किया है. उन्हों ने कहा कि "दुश्मन का एक रॉकेट" जिसे इजरायल की तरफ दागा गया था, गलती से अस्पताल पर जा गिरा. यह ध्यान रहे कि हमास के रॉकेट इतने शक्ति शाली नहीं है कि वो एक बड़े अस्पताल को गिरा कर इतनी तबाही कर सके. 

इजरायली आर्मी ने कुछ वीडियो की मदद से अपने द्वारा हमास पर लगाए इल्जाम को सिद्ध करने की नाकाम कोशिश भी की, लेकिन जब पता चला कि यह वीडियो असल हमले के 40 मिनट बाद रिकॉर्ड किया गया था, तो इजरायली आर्मी ने उस फुटेज को हटा लिया.

क्या बाइडेन अछूत होगए?अरब नेताओं से बढ़ी दूरियां 

बुधवार को बाइडेन अभी इजरायल पहुंचे ही थे कि क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान अरब लीडर्स ने उनके साथ पहले से तयशुदा मीटिंग्स रद्द कर दी. अल-हिला अस्पताल में हमले के बाद वेस्ट बैंक (Occupied Palestinian territory),  जॉर्डन, इराक, लेबनॉन, और के लोगों ने इजरायल के प्रति अपने आक्रोश का सड़कों पर इजहार किया है. ऐसे हालात में अरब का हर लीडर बाइडेन के साथ मिलने से अपने-आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है. याद रहे कि 1967 में  अरब देशों और इजरायल के बीच 6 दिनों तक घमासान युद्ध हुआ था, जिसमें इजरायल ने अरब देशों का काफी क्षेत्र अपने कब्जे में ले लिया था. दोनों पक्षों के बीच सालों तक कोई कूटनीतिक संबंध नहीं रहे. फिर 1979 में मिस्र–इसराइल समझौता हुआ, जिसकी वजह से मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या भी कर दी गई थी. उसके बाद जॉर्डन दूसरा अरब देश था जिसने 1994 में इजरायल के वजूद को माना और इनके साथ शांति-समझौता किया, लेकिन अब मौजूदा हालात ने अरब लीडर्स की मुश्किलें फिर से बढ़ा दी है.

अम्मान (जॉर्डन) में हजारों की संख्या में लोग अमेरिकी और इजरायली दूतावास के बाहर प्रर्दशन कर इजरायल के साथ हुई शान्ति संधि को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे हालात में अरब लीडर्स ने बाइडेन के साथ ना मिलना ही  उचित समझा. अगर गाज़ा पर इजरायल की तरफ से ज़मीनी हमले हुए तो हालात का बदतर होना निश्चित है. बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन, जो पहले से काफी दबाव में है, अपनी मुश्किलें और बढ़ा ली है. इजरायल पहुंचते ही बाइडेन ने नेतन्याहू को अस्पताल के नरसंहार मामले में क्लीन चिट दे दी. बीबी के सुर में सुर मिलाते हुए बाइडेन ने कहा, "मैंने अबतक जो कुछ देखा है उससे लगता है कि यह हमला दूसरे टीम ने किया है, आपने नहीं". 

बाइडेन भूल रहे जमीनी हकीकत

राष्ट्रपति बाइडेन का इजरायल को खुली छूट, अंध समर्थन, और बिना शर्त सैन्य मदद भेजना परदे के पिछे हुए हकीकत को बयां करती है. जाहिर है कि अमेरिका का इस प्रकार का एकतरफा अंधा समर्थन दूसरे तरफ, यानी पश्चिम एशिया के सभी अन्य देशों के रिश्तों के कीमत पर ही सम्भव होगा. अमेरिका ने इजरायल को न केवल गाज़ा में बॉम्बर्डमेंट की हरी झंडी दी, जिससे लगभग 10 लाख फिलिस्तीनी मिस्र से सटे बॉर्डर की ओर पलायन को मजबूर हुए, बल्के साथ में, सूत्रों की माने तो, JDAM जैसे खरनाक आधुनिक मिसाइल और हजारों की संखिया में आर्टिलरी भी दिए हैं. कई विश्वशनीय रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने मिस्र को इस बात के लिए मनाने का प्रयास किया कि  वो गाज़ा में रह रहे 10 लाख फिलिस्तीन रिफ्यूजी को अपने देश में शरण दे.

इसके लिए मिस्र को एक मोटी धन राशि (लगभग 20 अरब अमरीकी डॉलर) भी दी जाएगी. बाइडेन ने अपनी कुर्सी बचाने और दूसररी टर्म का जीत सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका का इजरायल को अटल समर्थन की घोषणा तो कर दी है, लेकिन देखना यह होगा कि जमीनी हकीकत किया है. यूक्रेन को लेकर वो पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुके थे. क्या अमेरिका एक दूसरे मोर्चे के लिए तैयार है? नैतिकता के मुद्दे को अगर हम ताक पर भी रख दें तो पता चलता है कि अमेरिकी फौज साफ तौर पर एक नए मोर्चे के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि अमेरिका पिछले कई सालों से अपना सैन्य शक्ति इस इलाके से कम कर रहा है. 

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार अमेरिका ने पिछले साल इराक, कुवैत जॉर्डन, सऊदी अरब से आठ पैट्रियट मिसाइल बैटरीज के अलावा कई और भी मिलिट्री एसेट्स खाली करा कर यूक्रेन और एशिया पैसिफिक में भेजा है. हालांकि, अमेरिका ने अपने 2 युद्ध पोत भूमध्यसागर में रखने का निर्णय लिया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सब ईरान को रोके रखने के लिए किया गया है, क्योंकि अगर पश्चिम एशिया में युद्ध फैल गया तो तो न केवल अरब जगत को सामान्य करने की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली जायेगी, बल्कि पूरा अब्राहम अकॉर्ड ही ख़त्म होजाएगी.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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