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Medicinal Plants Cultivation: औषधीय पौधों की खेती से मिलेगी दवाई भी-कमाई भी, 75 फीसदी तक सब्सिडी भी देती है सरकार

Subsidy on Medicinal Plant: इस योजना के तहत आवेदन करने वाले लाभार्थी किसानों को औषधीय पौधों की खेती की लागत पर 30 प्रतिशत से 50 और 75 फीसदी तक आर्थिक अनुदान दिया जा रहा है.

Medicinal Farming Scheme: आज भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया ने भी आयुर्वेद (Ayurveda), जड़ी-बूटियां और आयुष पद्धतियों को अपनाया है. यही कारण है कि देश-विदेश में औषधीय पौधे (Herbal Plants) और जड़ी-बूटियों (Natural Herbs Farming) की मांग बढ़ती जा रही है. यह भारतीय किसानों को लुये सुनहरा मौका है, क्योंकि भारत की धरती औषधीय पौधे या जड़ी-बूटियों की खेती (Herbal Farming in India) के लिये सबसे उपयुक्त है. यहां पौराणिक काल से ही जड़ी-बूटियों के भंडार मौजूद हैं.

किसानों को औषधीय खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कई योजनाओं पर काम कर रही हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को अलग-अलग जड़ी-बूटियां उगाने के लिये 75 प्रतिशत तक अनुदान (Subsidy for Medicinal Farming)  दिया जाता है.

औषधीय खेती केलिये 75% तक की सब्सिडी
भारत में औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का उत्पादन बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना (National Ayush Mission) चलाई जा रही है. इस योजना के तहत 140 जड़ी-बूटियां और हर्बल प्लांट्स की खेती के लिये किसानों को अलग-अलग दरों से सब्सिडी प्रदान की जाती है. इस योजना के तहत आवेदन करने वाले लाभार्थी किसानों को औषधीय पौधों की खेती की लागत पर 30 प्रतिशत से लेकर 50 और 75 फीसदी तक आर्थिक अनुदान दिया जा रहा है. आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत औषधीय पौधों और जड़ी-बूटी उत्‍पादन के लिये करीब 59,350 से ज्यादा किसानों को आर्थिक सहायता मिल चुकी है.

राष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य घटक
राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत ना सिर्फ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों (traditional Medicine Practices) को बढ़ावा दिया जा रहा है, बल्कि किसानों को भी कम लागत में औषधीय खेती करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है. इस योजना के तहत आर्थिक अनुदान का तो प्रावधान है ही, खेती के साथ-साथ मार्केटिंग करने के लिये भी सरकारी मदद प्रदान की जाती है.

  • किसान की भूमि पर प्राथमिकता वाले औषधीय पौधों की खेती.
  • खेती के लिये बेहतर क्वालिटी की रोपण सामग्री का निर्माण और आपूर्ति के लिए बैकवर्ड लिंकेज वाली नर्सरी की स्थापना.
  • फारवर्ड लिंकेज के साथ औषधीय फसलों का प्रबंधन.
  • औषधीय फसलों का प्राथमिक प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन अवसंरचना.

यहां करें जड़ी-बूटियों की खरीद-बिक्री
भारत में ज्यादातर किसान औषधीय पौधों की खेती के लिये दवा कंपनियों के साथ कांट्रेक्ट करते हैं. दरअसल औषधीय पौधों (Medicinal Plants Cultivation) की उपज और इनकी बिक्री के बाजार की जानकारी ना होने के कारण कांट्रेक्ट फार्मिंग (Contract Farming of Medicinal Plants) को पसंद किया जा रहा हैं. इस तरह दवा कंपनियां खुद ही किसानों से जड़ी-बूटियां खरीद लेती है और मार्केटिंग की चिंता खत्म हो जाती है.

अब किसान चाहें तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (Online Marketing of Herbs) के जरिये भी जड़ी-बूटियों की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. इसके लिये केंद्र सरकार ने ई-चरक मोबाइल एपलिकेशन (E-Charak Mobile App) भी लॉन्च किया है. यह जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों के लिये किसान, दवा कंपनियों, थोक बिक्रेताओं के साथ-साथ अन्य हितधारकों को खरीद-बिक्री (Marketing of Herbs) की सुविधा प्रदान करता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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