क्या हिन्दू धर्म में मांस खाना मना ?



कई धर्म के लोग मांस का सेवन करते हैं



कई धार्मिक ग्रंथ जीव हत्या को पाप बताते हैं



हिन्दू धर्म की पौराणीक कथाएं जैसे महाभारत में मांस खाने को गलत कहा गया है



स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति। नाति क्षुद्रतरस्तस्मात्स नृशंसतरो नर।।



यह श्लोक महाभारत से लिया गया है



इस श्लोक का मतलब है कि जो व्यक्ति दूसरों के मांस से अपना मांस बढ़ाना चाहता है, वह नीच और निर्दयी इंसान होता है



भगवान बृहस्पति कहते हैं कि जो व्यक्ति मांस का सेवन नहीं करते हैं उसे यज्ञ,दान और तप का फल मिलता है



जिस तरह किसी इंसान के प्राण जरूरी होते हैं,उसी तरह कोई भी जीव के प्राण प्रिय होते हैं,और प्राण छीनना पाप है



हिन्दू धर्म में कहा गया है कि मांस का त्याग करने वाले आदर और सम्मान देने लायक होते हैं