शनिवार की पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मन को शांत कर श्रद्धा से व्रत का संकल्प लें.

इस दिन काले या नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.

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संकल्प लेने के बाद शांत मन से शनिदेव का ध्यान करें. यह ध्यान पूजा को प्रभावशाली बनाता है

और मन को स्थिरता देता है. श्रद्धा जितनी गहरी होगी, फल उतना ही शुभ होगा.

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पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और सात बार परिक्रमा करें.

चाहें तो परिक्रमा करते समय पीपल के चारों ओर कच्चा सूत भी लपेटें.

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इसके बाद शनिदेव को काले तिल, सरसों का तेल और काला कपड़ा अर्पित करें.

यदि संभव हो तो पंचामृत से उनका अभिषेक करें. यह पूजा मन को शुद्ध और ऊर्जा को सकारात्मक बनाती है.

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पूजा के दौरान ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें.

मंत्र-जाप मन को शांत करता है और शनि दोष को भी कम करने में सहायक होता है.

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पूरा ध्यान लगाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनिदेव की आरती करें.

दीपक का प्रकाश नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में स्थिरता लाता है.

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पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराना या खाने-पीने की चीजें दान करना अत्यंत शुभ माना गया है.

तिल, उड़द, काला वस्त्र या तेल का दान विशेष रूप से फलदायी होता है. शनि देव न्याय और करुणा दोनों के प्रतीक हैं, इसलिए दान का महत्व और बढ़ जाता है.

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शनिदेव की सरल पूजा जीवन के कष्टों को दूर करने, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव कम करने और मन में सकारात्मकता लाने में मदद करती है.

यह पूजा व्यक्ति को कर्मठ, अनुशासित और आत्मविश्वासी बनाती है.

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शनिवार का व्रत अगले दिन पूजा करने के बाद पूरा होता है. पारण के समय काली उड़द की दाल से बनी खिचड़ी का सेवन शुभ माना जाता है.

यह व्रत मन, शरीर और कर्म – तीनों को संतुलन देता है और जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाता है.

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