रत्न शास्त्र में हर ग्रह के लिए एक विशिष्ट रत्न तय है किया गया है.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
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यदि कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति कमजोर हो, तो वह ग्रह-संबंधित रत्न पहनने से ग्रह मजबूत हो सकता है.

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जैसे सूर्य के लिए रत्न है माणिक्य, चंद्रमा के लिए मोती, और मंगल के लिए मूंगा रत्न

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इसी तरह, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पीला पुखराज, शुक्र के लिए हीरा और शनि के लिए नीलम रत्न.

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वहीं छायाग्रहों जैसे राहु और केतु के लिए गोमेद और लहसुनिया रत्न शुभ माने गए हैं.

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रत्नों के साथ-साथ ग्रह-शांति के अन्य उपाय जैसे मंत्र जाप, पूजा-पाठ या दान-पुण्य करना भी जरूरी माना जाता है.

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मगर सिर्फ रत्न पहने से काम नहीं चलता, जब तक सही धातु, सही उंगली और ग्रह-कुंडली की दशा नहीं पता हो.

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अगर किसी व्यक्ति ने गलत रत्न, गलत समय या गलत तरीके से धारण किया तो रत्न का विपरीत प्रभाव हो सकता है.

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रत्न शास्त्र के अनुसार सही रत्न पहनकर व्यक्ति अपनी कुंडली में ग्रहों की कमजोर स्थिति सुधार सकता है.

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मगर रत्न पहनने से पहले अपनी सभी ग्रह-स्थितियां जान लें.

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