रोजा, इस्लाम धर्म में एक इबादत है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के महीने में सुबह से शाम तक खाने-पीने से परहेज करते हैं.

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इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और इसका उद्देश्य आत्मसंयम, सब्र और अल्लाह के करीब आना है.

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रोजा रखने वाले सुबह सूर्योदय से पहले 'सहरी'करते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद 'इफ़्तार'करते हैं.

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रोजा रखना हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है.

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रोजा रखना अल्लाह की इबादत करने और उन्हें शुक्रिया अदा करने का एक जरिया है.

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लेकिन फिर भी साल में दो ऐसे दिन हैं जिनमें रोजा रखने पर सख्त मनाही है.

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इस्लाम धर्म में रोजा रखने की शुरुआत पैंगबर मुहम्मद के समय से मानी जाती है.

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ईद उल अजहा और ईद उल फितर के दिन रोजा रखना हराम माना गया है.

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साल के इन्हीं दो दिनों में रोजा रखने की इजाजत नहीं है, वहीं बाकी दिनों में आप कभी भी दिन रोजा रख सकते हैं.

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