इस्लाम धर्म में ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर अल्लाह के आदेश पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है.



कुर्बानी का महीना इस्लामिक कैलेंडर के 12वें और अंतिम महीने, जुल हिज्जा में मनाई जाती है.



इस्लाम धर्म में जो मुसलमान कुर्बानी देने में सक्षम हो, उसे कुर्बानी के फर्ज को अदा करना चाहिए.



जिस जानवर की कुर्बानी की जानी है, उसके मांस को तीन भागों में बांटा जाना चाहिए.



जिसमें एक हिस्सा कुर्बानी देने वाले का और बाकी 2 हिस्सा जरूरतमंदों का होता है.



कुर्बानी वाले जानवर की सींग तोड़नी नहीं चाहिए.



कुर्बानी वाला जानवर दांत रहित नहीं होना चाहिए.



कुर्बानी देने से पहले जानवरों को अच्छा खाना और उनकी खूब सेवा करनी चाहिए.



कुर्बानी के लिए चाकू तेज धार का होना चाहिए.