माता छिन्नमस्तिका हिंदू धर्म की बेहद शक्तिशाली, रहस्यमयी और तांत्रिका देवी है.



वह दस महाविद्याओं में से एक हैं. जिन्हें खुद की बलि देने वाली और आत्म प्रकाश स्वरूपा की देवी भी कहा जाता है.



माता छिन्नमस्तिका के नाम का अर्थ है, जिसने खुद अपना सिर काट दिया हो और फिर चेतना से भरपूर हो.



माता खुद अपना सिर काट चुकी है. गर्दन से रक्त की तीन धारा बह रही है.



एक धार सीधे उनके सिर में जा रही है.



बाकी की दोनों धाराएं उनकी दो सेविकाओं (दक्षिणा और वर्निनी) के मुंह में जा रही है.



माता नग्न अवस्था में खड़ी होती है, जो माया और अंहकार से मुक्त होने का संकेत होता है.



वही उनके पैरों के नीचे कामदेव और रति (काम और वासना के प्रतीक) हैं.



जो दिखाते हैं कि उन्होंने काम वासनाओं पर पूरी तरह विजय हासिल कर ली है.