महाभारत काल में वनवास के दौरान पांडवों के पास अक्षय पात्र था.



युधिष्ठिर को ये पात्र सूर्यदेव ने दिया था, ताकि वन में उन्हें भूखा न रहने पड़ा.



कहा जाता है कि अक्षय पात्र से तबतक भोजन प्राप्त होता था, जबतक कि द्रौपदी भोजन न कर ले.



इस पात्र से रोजाना सभी के लिए भोजन करने के समय पर भोजन प्राप्त होता था.



पांडवों को ये पात्र उनकी तपस्या और धर्म मार्ग पर चलने के कारण मिला था.



इस पात्र से ऋषि मुनियों, अतिथियों और वनवासियों को भोजन प्राप्त होता था.



इस पात्र से जब तक द्रौपदी भोजन न करें, तब तक पात्र से अनंत भोजन प्राप्त होता था.



अक्षय पात्र का जिक्र महाभारत के वनपर्व अध्याय में विस्तार से जिक्र किया गया है.



अक्षय पात्र को आज भी भक्ति और चमत्कार का प्रतीक माना जाता है.