गरुड़ पुराण के मुताबिक मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत अपने साथ ले जाते हैं.
मरने के बाद ये पहला पड़ाव होता है.


मरने के बाद आत्मा स्थूल शरीर को छोड़कर सूक्ष्म रूप में निकलती है.



मरने के बाद आत्मा कुछ समय के लिए अपने शव और परिवार से मोह रखती है.



मौत के बाद आत्मा 10 से 12 दिनों के लिए यमलोक की यात्रा करती है.



मरने के 13वें दिन तक आत्मा प्रेत योनि में रहती है, जब तक की उसका पिंडदान ना हो जाए.



पिंडदान होने के बाद आत्मा को स्थायित्व और मार्गदर्शन प्राप्त होता है.



मरने के बाद आत्मा यमलोक पहुंचने से पहले 24 कष्टप्रद मार्गों से गुजरती है.



मरने के बाद आत्मा के अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब यमराज के दरबार में होता है.



कर्मों के अनुसार आत्मा को स्वर्ग, नरक या पुनर्जन्म होता है.