पुरी के जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल में एक बार मूर्ति बदली जाती है.



जगन्नाथ जी की मूर्ति नीम की लकड़ी से बनाई जाती है, जिसे दारु ब्रह्म कहा जाता है.



मूर्ति बनाने के लिए नीम के पेड़ का चयन गुप्त प्रक्रिया से होती है, जिसे केवल मंदिर के सेवक और दैत्यपति पंडा जानते हैं.



पेड़ चुनते समय उसमें नीम, चक्र, गदा और पद्म जैसे चिन्ह देखे जाते हैं.



नीम के पेड़ का चयन ऐसी जगह से होता है, जहां आस पास नदी या मंदिर हो.



मान्यता है कि नीम के पेड़ में विष्णु अदृश्य रूप से वास करते हैं.



दरअसल नीम की लकड़ी से बनी मूर्ति में दीमक या फफूंदी नहीं लगती, और ये लंब समय तक चलती है.



इस परंपरा के कारण ही जगन्नाथ मूर्ति को जीवत स्वरूप माना जाता है.



पूरी दुनिया में ये परंपरा एकमात्र जगन्नाथ मंदिर में ही देखने को मिलती है.