प्रेमानंद महाराज से एक युवक ने पूछा, क्या जन्मदिन का कोई अध्यात्मिक महत्व होता है? इसे कैसे मनाएं?



जिसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, हमें तो शोक दिन लगता है कि जीवन से एक साल और बीत गया.



हमें पता नहीं है कि अब हमारे पास कितने घंटे, कितने मिनट और कितने सेकंड हैं.



जन्मदिवस के दिन हमें संतों और गायों की सेवा करनी चाहिए. भजन करना चाहिए.



क्योंकि हमारा एक साल बढ़ा नहीं, बल्कि कम हो गया है.



हमें जन्मदिवस पर संक्लप लेना चाहिए कि, आने वाले सालों में हम किसी का अमंगल नहीं करेंगे.



जन्मदिवस मनाओं तो नाम जप कीर्तन करो, सात्विक भोजन पकाओ और सभी को खिलाओं.



जन्म दिवस के दिन भजन कीर्तन करने के साथ संतों की सेवा करो, जितना सामर्थ्य हो उतने लोगों की सेवा करों.



क्योंकि हमारे जीवन का एक साल कम हो गया है, और हमें पता नहीं है कि और कितना समय बचा है.