यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है

महाकालेश्वर मंदिर को लेकर कई सारी भ्रांतियां हैं

यह दुनिया का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है. तंत्र-मंत्र की दृष्टि से इसे बेहद महत्वपूर्ण माना गया है

प्रतिदिन सुबह भगवान की भस्म आरती की जाती है

इस आरती की खासियत यह थी कि इसमें मुर्दे की ताजा भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है

लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है

पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में भी इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है

उज्जैन में महाकाल को ही राजा माना जाता है, इसलिए महाकाल की इस नगरी में और कोई भी राजा कभी रात में यहां नहीं रुकता

उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर साल में सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलता है

मालवा में मराठों के शासनकाल में यहां महाकालेश्वर मंदिर का पुनिर्नर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुर्नप्रतिष्ठा तथा सिंहस्थ पूर्व स्नान की स्थापना हुई

मराठों के बाद इस मंदिर का विस्तार राजा भोज ने किया था, जो महाकाल के बहुत बड़े भक्त थे

1235 में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने ही इस मंदिर का दोबारा सौन्दर्यीकरण कराया