एलिसन बैंक्स फिंडली ने अपनी किताब 'नूरजहां: एंपरेस ऑफ मुगल इंडिया' में मुगल शासक जहांगीर सलीम की अपने बेटे के साथ की गई क्रूरता का जिक्र किया है.



एलिसन लिखती हैं कि जहांगीर के बेट खुसरो ने पिता से बगावत कर दी थी, तब जहांगीर ने क्रूरता दिखाई और बड़ी बेरहमी की.



एलिसन लिखती हैं, 'खुसरो जंग में पिता से हार गया था, जिसके बाद जहांगीर ने उसकी आंखें फोड़ दीं'.



जहांगीर ने बाद में खुसरो की आंखों का इलाज करवाया, लेकिन वह कभी ठीक नहीं हो सका.



एलिसन बताती हैं कि जहांगीर को कभी दरियादिल तो कभी बेहद खूंखार कहा जाता था.



उन्होंने बताया कि जहांगीर ने एक बार इस बात पर अपने नौकर का अंगूठा भी कटवा दिया था कि उसने नदी के किनारे लगे चंपा के कुछ पेड़ काट दिए थे.



जहांगीर की क्रूरता के किस्सों में एक और किस्सा भी शामिल है. उन्होंने नूरजहां की एक कनीज को भी गड्ढे में आधा गड़वा दिया था. उसको एक किन्नर का चुंबन लेते पकड़ा गया था.



जहांगीर ने एक व्यक्ति को उसके पिता की हत्या के अपराध में हाथी से बंधवाकर मीलों तक घसीटा था.



1605 ई. में जहांगीर के बड़े बेटे खुसरो का बगावत में साथ देने के लिए जहांगीर ने सिखों के 5वें गुरु अर्जन देव को भी फांसी पर चढ़ा दिया था.



जहांगीर का नाम न्याय की जंजीर के लिए भी मशहूर था. उन्होंने यमुना के तट पर 60 घंटियां बंधवाई थीं, जिसका इस्तेमाल मुश्किल समय में गुहार लगाने के लिए लोग करते थे.