मुसलमानों का पर्सनल लॉ कैसे बना?



इस्लामिक कानून के जानकार के मुताबिक पहले सभी समुदायों में एक जैसा रिवाज था



अंग्रेजों ने सत्ता हासिल करने के बाद स्थानीय कस्टम के हिसाब से फैसले देने शुरू कर दिए



1873 के मद्रास सिविल कोर्ट एक्ट और 1876 के अवध लॉज एक्ट में के मुताबिक दिए फैसले



मजहबी कानून पर स्थानीय परंपरा को दी जाने लगी प्राथमिकता



स्थानीय प्रथाओं में महिलाओं को नहीं दिए गए कोई अधिकार



मुसलमानों में महिलाओं को जायदाद में आधा हिस्सा मिलने का रिवाज है



हालांकि शरिया का कानून बिल्कुल अलग था



इसे खत्म कराने के लिए उलेमा ने शुरू किया था अभियान



तब जाकर साल1937 में बना मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्ट