ब्राह्मण कितने प्रकार के होते हैं



पुराणों में ब्राह्मण के आठ प्रकारों का जिक्र है



पहला प्रकार 'मात्र' है जो जाति से ब्राह्मण हैं मगर कर्म से नहीं है



दूसरा प्रकार 'ब्राह्मण' हैं, जो ईश्वरवादी, वेदपाठी और बुद्धी से तेज होते हैं



तीसरे 'श्रोत्रिय' हैं जो वेद की किसी एक शाखा का कल्प करते हैं



चौथे 'अनुचान' हैं जो विद्यार्थियों को पढाने वाले विद्वान होते हैं



पांचवा प्रकार 'भ्रूण' है, जो ब्राह्मण विद्वान होने के बाद यज्ञ और स्वाध्याय करते हैं



छठा प्रकार 'ऋषिकल्प' है, इन्हें स्मृतियों और लौकिक विषयों का ज्ञान होता है



सांतवे प्रकार में 'ऋषि' आते हैं जो ब्रह्मचारी बन जाते हैं



आखरी प्रकार 'मुनि' हैं जो संपूर्ण तत्वों के ज्ञाता होते हैं