सांप की जीभ को वोमेरोनेजल अंग कहा जाता था

यह अंग जमीन पर रेंग कर चलने वाले जीवों में पाया जाता है

यह अंग सांप की नाक के चेंबर के नीचे होता है

जब यह हवा में निकालकर अपनी जीभ लहराता है

तो बाहर की गंध के कण जीभ पर चिपक जाते हैं

इससे सांप को पता चलता है कि आगे क्या है

सांप अपनी जीभ के दोनों सिरों को काफी दूर तक बाहर निकालता है

इससे सांप ज्यादा बड़े क्षेत्र और दिशा की गंध को पहचान जाता है

सांपों की जीभ अलग-अलग रंग की हो सकती है

इस तरह से सांप की जीभ दो जगह बटी होती है