एक एम 2 ईवीएम की कीमत 8,670 रुपये थी

वहीं, एक एम3 ईवीएम की कीमत लगभग 17,000 रुपये होती है

भारी संख्या में ईवीएम बनाने में ज्यादा पैसे जरूर खर्च होते हैं

लेकिन इससे बहुत सारे कागजों की छपाई, ढुलाई का खर्चा बच जाता है

इससे मतगणना में भी आसानी होती है

बहुत कम कर्मचारी आसानी के साथ वोट की गिनती कर देते हैं

जिससे चुनाव आयोग का काफी खर्चा बच जाता है

भारत में पहली बार इसका यूज वर्ष 1982 में केरल में हुआ था

ईवीएम बैटरी से चलती है

साथ ही इससे कम समय में मतदान हो जाता है