शनि जब अशुभ हो तो व्यक्ति को राजा से रंक बना
देते हैं. वहीं शुभ हो तो जातक राजयोग पाता है.


शनि देव की दृष्टि कष्टकारी के साथ ही
शक्तिशाली भी होती हैं.


शनि के पास सातवीं के अलावा तीसरी और
दसवीं दृष्टि भी होती है.


ये दृष्टि जिस ग्रह, भाव या व्यक्ति पर पड़ती है
उसका नाश हो जाता है.


कुंडली में तृतीय, षष्ठ, दशम व एकादश भाव में
शनि शुभता देते हैं.


अगर शनि की दृष्टि छठे भाव पर हो तो शत्रुओं बाधा से
मुक्ति मिलती है.


प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम भाव के शनि खतरनाक परिणाम
होते हैं.


चतुर्थ, अष्टम, द्वादश भाव में ये बेहद विनाशकारी फल देते हैं.