ज्योतिष शास्त्र में शनि जहां उम्र बढ़ाता है, वहीं काल
के गाल में समा लेता है.


36 वर्ष से 42 वर्ष की उम्र तक शनि का प्रभाव रहता है.
शुभ हो तो घर, कारोबार, धन में लाभ मिलता है.


वहीं इस उम्र में शनि अशुभ हो तो जीवन में तमाम
परेशानियां व्यक्ति को पूरी तरह तोड़ कर रख देती है.


शनि के कुंडली के 3,6,10 या 11वें भाव में हो तो शुभ
फल प्रदान करते हैं.


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि अष्टम भाव में मकर या
कुंभ, मिथुन, कन्या राशि में हो तो आयु को बढ़ाता है.


वहीं मीन, मेष, वृश्चिक, सिंह राशि में हो तो मृत्यु तुल्य
कष्ट देता है.


शनि, मंगल, केतु साथ हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने का
खतरा बना रहता है.


वहीं जब शनि, सूर्य और मंगल साथ हो तो आग या विस्फोट
से जान का खतरा बना रहता है.