भगवद गीता के दूसरे अध्याय से हमें जीवन की वो सीख मिलती है, जो शायद कोई नहीं बताने वाला.



भगवद गीता का दूसरा अध्याय हमें बताता है कि हम आत्मा हैं, शरीर नहीं.



शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है. आत्मा कभी मरती नहीं बस शरीर बदलती है.



जीवन में जिसको भी ये बात समझ आ गई, उसे मृत्यु का डर नहीं होता है.



जब आप बिना फल की चिंता किए कर्म करते हैं, तब भगवान आपको सच में फल प्रदान करता है.



जीवन में हर कोई भ्रमित होता है. बस हमें अपने मन और मस्तिष्क पर काबू पाना है.



जो लोग अपने कर्तव्य से भागते हैं, वो अधर्म की राह पर चलते हैं.



सच्चा योद्धा वही है जिसने कठिन परिस्थितियों में भी कर्म करना नहीं छोड़ा.



जीवन में अपनी गलती स्वीकार करना सीखें. ऐसा करने से आपके जीवन में अच्छे बदलाव आते हैं.