11 दिसंबर 1931 को मध्यप्रदेश के कुचवाड़ा में ओशो
का जन्म हुआ था. जन्म के समय उनका नाम था चंद्रमोहन जैन.


अपने लाखों प्रशंसकों, शिष्यों और अनुयायियों के लिए वो
सिर्फ ‘ओशो’ थे. ओशो को जीवन विवादों से भरा है.


ओशो जब जन्में थे तो 3 दिन तक न ही रोए न ही उनकी
आवाज निकली. जांच में भी सब कुछ सामान्य पाया गया था.


1960 के दशक में वह आचार्य रजनीश के रूप में प्रसिद्धि
हुए थे. मानव मस्तिष्क पर उनकी पैनी नजर थी.


जबलपुर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर का स्तीफा देने
के बाद ओशो पूरी तरह से आध्यात्मिक गुरु बन गए थे.


जटिल अवधारणाओं को सामान्य भाषा में पेश करने की उनकी
क्षमता ने कई लोगों को प्रभावित किया.


ओशो की विचारधारा पर हमेशा ही सवाल उठता रहा है. उन्होंने
‘संभोग से समाधि का मंत्र दिया था.


वो भौतिकतावाद और अध्यात्म को अलग-अलग नहीं करते थे.
उनके विचारों पर कई बार विवाद हुए.