शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है.

धार्मिक मान्यतानुसार, शरद पूर्णिमा पर ही कृष्ण ने महारास किया था.

इसलिए शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

गोपियों संग महारास करना श्रीकृष्ण की कई लीलाओं में एक था.

श्रीकृष्ण ने ब्रज में 16 हजार 108 गोपियों संग रास लीला की थी.

कहा जाता है, शिवजी ने भी गोपी का रूप धारण कर रासलीला में भाग लिया.

यही कारण है कि शिवजी को गोपेश्वर रूप में भी पूजा जाता है.

लोक मान्यता के अनुसार, आज भी कृष्ण गोपियों संग रात्रि में रास रचाते हैं.

इसलिए दिन ढलने के बाद निधिवन में किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं होती है.