Types Of Coaches In Indian Railways: अलग-अलग सुविधा लेने वाले यात्रियों को देखते हुए ही एक ट्रेन के कई तरह की बोगियां लगी होती हैं. इन सभी अलग-अलग बोगियों में सुविधा देने का पैमाना भी अलग अलग है. भारतीय रेलवे इन विभिन्न बोगियों की सुविधाओ के हिसाब से ही यात्रा का शुल्क लेता है. साधारण शब्दों में कहें तो किसी एक सफर का शुल्क बोगियों के हिसाब से अलग अलग तरह का होता है. सामान्य श्रेणी में जहां सस्ते में यात्रा की जा सकती है, वहीं वीआईपी या अन्य तरह की सुविधाओं के लिए अच्छी खासी रकम भी चुकानी पड़ती है. जब यात्री ट्रेन की टिकट कटवाते हैं तो टिकट के ऊपर कोच और उसकी श्रेणी भी लिखी होती है. ट्रेन के डिब्बों के बाहर भी कोच और उसकी श्रेणी देखने को मिलती है. इसके जरिए यात्री निर्धारित सीट पर जाकर बैठता है और अपनी यात्रा पूरी करता है. लोग अपनी सुविधा के अनुसार कोच चुनते हैं. यह कोच कितनी तरह के होते हैं और इनमें क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं. इसकी जानकारी हम नीचे आर्टिकल में दे रहे हैं.


यह हैं कोच के प्रकार और उनकी सुविधाएं



  • UR/GENREL कोच: जनरल का मतलब सामान्य होता है. इसीलिए इसे साधारण कोच कहते हैं. यह ट्रेन का वह कोच है, जो आम यात्रियों के लिए होता है. इसमें सफर करने के लिए सबसे कम धनराशि वसूली जाती है. इसीलिए सामान्य कोच में यात्रियों की भीड़ सबसे ज्यादा होती है. इस कोच में यात्रा करने के लिए कोई रिजर्वेशन की जरूरत नहीं होती है. इसी कारण इस कोच में यात्रियों की कोई सीट निर्धारित भी नहीं होती है. अगर ट्रेन में अधिक भीड़ है तो 24 घंटे के अंदर संबंधित रूट पर किसी अन्य ट्रेन के जनरल कोच में यात्रा की जा सकती है.

  • 2S सेकेंड सीटर या CC कोच: इस कोच को चेयरकार कोच कहते हैं. इसमें बैठने के लिए रिजर्वेशन की जरूरत पड़ती है. इसमें कोई खास सुविधा नहीं होती है, बस यह जनरल कोच के मुकाबले अधिक आरामदायक होता है. इस तरह के कोच जनशताब्दी और इंटरसिटी ट्रेनों में देखने को मिल जाएंगे.

  • SL- स्लीपर क्लास कोच: यह कोच यात्रा करने के लिए काफी आरामदायक साबित होता है. इसमें बैठने के साथ-साथ सोते हुए भी यात्रा की जाती है. क्योंकि प्रत्येक यात्री को अलग-अलग क्रमांक से सीट आवंटित होती है. बस यात्रा करने से पहले रिजर्वेशन कराना होगा. मध्यम वर्ग के यात्री इसमें अधिकांश रूप से सफर करते हुए देखे जा सकते हैं.

  • EC- एग्जिक्यूटिव चेयर कार: छोटी यात्रा के लिए यह कोच काफी आरामदायक रहता है. यूं तो इस कोच में चेयरकार श्रेणी मिलती है. बस फर्क इतना है कि तापमान को निर्धारित करने के लिए एसी भी लगा होता है. इस वजह से इसकी यात्रा काफी सुगम रहती है. इस कोच में दो और तीन के पेयर में सीटें लगी होती हैं. रिजर्वेशन के बाद इसमें सफर कर सकते हैं. यात्रा के दौरान नाश्ता और डिनर जैसी सुविधाएं यात्रियों को दी जाती हैं.

  • 3rd AC Or 3-Tier एसी कोच: लंबे सफर के लिए यह कोच काफी आरामदायक रहता है. इस कोच में स्लीपिंग बर्थ रहती है. इसमें एसी की सुविधा रहती है. वहीं सोने और आराम करने के लिए बेडिंग व्यवस्था भी मिलती है. इसका खर्च टिकट के भुगतान में जुड़ा होता है.

  • 2nd AC कोच: यह कोच थर्ड एसी की तुलना में ज्यादा अच्छा होता है. कोच में यात्रियों की प्राइवेसी के लिए पर्दे लगे रहते हैं. इसमें बेडिंग की सुविधा भी मिलती है.

  • FIRST AC कोच: यह कोच ट्रेन के अंदर सबसे ज्यादा महंगा होता है. इसका किराया विभिन्न फ्लाइट के किराये के बराबर होता है. लोग समय और सहूलियत के हिसाब से फ्लाइट अथवा फर्स्ट एसी कोच से सफर करना बेहतर समझते हैं. जबकि राजधानी ट्रेन के अंदर इस कोच में लग्जरी सुविधाएं और बढ़ी हुई होती हैं. इसमें यात्रियों के लिए कर्मचारी भी रहते हैं, जो यात्रियों के निर्देश पर विभिन्न काम करते रहते हैं.


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