Dengue and Viral in Firozabad: वायरल बुखार और डेंगू (Viral and Dengue) का कहर इस तरह अपना कहर बरपा रहा है कि, लोग अब गांव छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं. उन्हें इस बात का डर है कि कहीं अगर वह और उनके बच्चे इस डेंगू की चपेट में आ गए तो बात उनकी जिंदगी पर बन आएगी. दरअसल हम बात गांव नगला अमान की कर रहे हैं जहां वायरल बुखार से 15 से ज्यादा लोग (15 death) अपनी जिंदगी गंवा चुके हैं. 


घर घर में हैं मरीज


इस गांव में लगभग 4000 की आबादी है. बड़े बूढ़े और बच्चों को मिलाकर, आज स्थिति यह है कि, कई परिवारों में वायरल, डेंगू बुखार के चलते बच्चे, बड़े घर  लेट कर ड्रिप चढ़वा रहे हैं. इस गांव में खौफ तो इतना है कि, लोग डेंगू बुखार से बहुत ही सहमे हुए हैं, क्योंकि गांव में रहने वाले 11 से अधिक परिवार इस वजह से गांव छोड़कर अपने दूसरे शहरों में रह रहे रिश्तेदारों के यहां चले गए. क्योंकि अब उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने घर का खर्च चला सकें. क्योंकि उनके पास जो रुपया जमा था, वह अब बीमारी में खर्च हो चुका था. नौबत अब दो वक्त की रोटी की आ गई थी, तब लोग गांव छोड़कर अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए. स्थिति तो यह है कि, घरों पर ताले लटके हुए हैं, जिस आंगन में बच्चे खेलते थे, वहां आज सन्नाटा पड़ा हुआ है. कमरे के अंदर पड़े बर्तन ऐसे शांत है जैसे की तेज तूफान के बाद कोई शांति होती है. 


गांव में पसरा सन्नाट


सबसे बड़ी बात तो यह है कि, जिस मिट्टी के चूल्हे पर महिलाएं खाना बनाकर अपने परिवार को खिलाती थी, आज उन मिट्टी के चूल्हों में घास उग आई है, और कुछ कुछ मिट्टी के चूल्हे राख का बोझ झेल कर बस आग जलने के इंतजार में बैठे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि, डेंगू के कहर की इतनी दहशत है कि लोग अब गांव छोड़कर जाने लगे हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम कभी कबार आ जाती है, इससे कोई फायदा नहीं है. गांव में अब तक 15 से अधिक मौत हो चुकी है. 


मुख्यमंत्री के दौरे के बाद कोई अफसर नहीं आया 


30 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए थे, उससे पहले ही गांव में साफ सफाई और दवाइयां बांटी गई थी, लेकिन उनके जाने के बाद किसी सफाई कर्मचारी या किसी अधिकारी ने उस गांव में दस्तक तक नहीं दी, जिसका परिणाम आज लोगों को गांव छोड़ने को मजबूर कर रहा है. ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि, स्थिति यही रही तो तो बाकी के लोग भी गांव छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे, उनकी मांग है कि स्वास्थ्य विभाग या फिरोजाबाद जिले के आला अधिकारी उनकी मदद करें और इस बीमारी से मुक्ति दिलाएं.


गांव छोड़ने वाले परिवार....


1- राम कुमार पुत्र बनवारी लाल जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपनी ससुराल चला गया है।


2-  श्याम सुंदर पुत्र बनवारी लाल वह भी अपने परिवार के साथ अपनी ससुराल मैनपुरी चला गया।


3- राम प्रताप पुत्र बनवारी लाल वह भी अपने परिवार के साथ अन्य रिश्तेदारी में चला गया।


4- सुनील पुत्र चुन्नीलाल 11 लोग थे परिवार में बीमारी के चलते अपनी रिश्तेदारी राजाखेड़ा चला गया।


5- आशिक पुत्र मोतीलाल यह भी अपने परिवार के साथ अलीगढ़ के पास एक गांव में अपनी रिश्तेदारी में चला गया।


6- गुड्डी पत्नी स्वर्गीय सोबरन सिंह बीमारी के चलते अपने बेटे के साथ अपना घर छोड़कर अपनी बेटी के घर बिलासपुर चली गई।


7- रेखा पत्नी स्वर्गीय वीरेंद्र सिंह यादव चार बच्चों के साथ अपने रिश्तेदार के यहां घड़िया टूंडला चली गई।


8- विनोद पुत्र बाबूलाल 5 बच्चे और पत्नी के साथ इटावा चला गया अपनी रिश्तेदारी में।


9- पप्पू पुत्र बाबूलाल पत्नी गीता के साथ गांव छोड़कर रेवाड़ी चला गया अपने रिश्तेदार के यहां।


10- हरिशंकर पुत्र नत्थी लाल इसकी मां का देहांत हो गया बुखार के चलते,उसके बाद वह रिश्तेदारी में राजाखेड़ा चला गया अपने परिवार के साथ।


11- करतार पुत्र नत्थी लाल यह भी बीमारी के चलते अपने परिवार के साथ मैनपुरी चला गया अपने रिश्तेदार के यहां।


इन जैसे और परिवार हैं जो इस समय गांव छोड़ कर चले गए हैं, और अन्य परिवारों कहना है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह भी गांव छोड़ने के लिए मजबूर होंगे. अब देखना यह है कि कब तक फिरोजाबाद के अधिकारी इस गांव में डेंगू बुखार की बीमारी को लेकर अच्छी व्यवस्था करते हैं या फिर गांव के इन ग्रमीणों का गांव छोड़ने का सिलसिला ऐसे ही बरकरार रहेगा.



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