देहरादून: कोरोना काल में देवभूमि पर भी महामारी का संकट आया, लेकिन प्रदेश की पुलिस ने इस संकट का हर मोड़ पर डटकर मुकाबला किया. नतीजा ये हुआ कि पुलिस के सेवाभाव ने खाकी की छवि को पूरी तरह से बदल दिया है. कोरोना काल में उत्तराखंड पुलिस का जो चेहरा दिखा, वो सेवा से जुड़ा था, बेसहारा लोगों की मदद से जुड़ा था, जनता के समर्पण से जुड़ा था और बीमारों की सेवा से जुड़ा था. इसकी एक अच्छी तस्वीर दिखी मिशन हौसला नाम के एक अभियान में. 


ज्यादा घातक रहा कोरोना
उत्तराखंड में इस बार का कोरोना पिछले साल के मुकाबले बहुत ज्यादा घातक रहा. लेकिन पुलिस के सेवाभाव वाले इरादे उससे भी ज्यादा समर्पित रहे. कहना गलत नहीं होगा कि उत्तराखंड पुलिस का मिशन हौसला उस मजबूती का नाम है, जो कोरोना से लड़ने में काम आया. 


'मिशन हौसला' से मिली मजबूती, जानें- खास बातें 


- 1 मई से 31 मई तक मिशन हौसला चलाया गया
- हर जिले और बटालियन में कोविड कंट्रोल रूम बना
- जवानों ने जरूरतमंदों की हर संभव मदद की
- लोगों के बीच जाकर समन्वय स्थापित किया गया
- थानों को नोडल प्वाइंट्स बनाकर जरूरतमंदों की मदद की
- दवाई, ऑक्सीजन, ब्लड डोनेशन और राशन वितरित किया
- एक महीने में 31 हजार से ज्यादा कॉल अटेंड की गई
- 2726 लोगों तक पुलिस ने ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाए
- 792 लोगों को अस्पताल में बेड उपलब्ध कराया गया
- 217 लोगों को प्लाज्मा/ब्लड डोनेट कराया गया
- 17 हजार से ज्यादा लोगों को दवाई पहुंचाई गई
- 600 से ज्यादा लोगों को एंबुलेंस दिलाई गई
- 792 कोरोना संक्रमितों का दाह संस्कार किया गया
- 5 हजार से ज्यादा बुजुर्गों की सहायता की गई


पुलिस के काम को याद रखेंगे लोग 
बहुत से सामाजिक संगठनों और लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर मिशन हौसला का सहयोग किया गया और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में योगदान दिया है. लेकिन, उत्तराखंड पुलिस ने इस जंग में जो योगदान दिया, उसे प्रदेश के लोग हमेशा याद रखेंगे.


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