UP News: लोकसभा चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस (UP Congress) अब जातीय समीकरण साधने उतरी है. लगभग छह महीने के इंतजार के बाद यूपी में दलित चेहरे पर दांव लगाते हुए बृज लाल खबरी को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसी के साथ पूर्वांचल, अवध, प्रयाग, बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम जोनों में प्रांतीय अध्यक्ष तैनात किए गए हैं. इनमें भी जातीय समीकरणों के हिसाब से बिसात बिछाने की कोशिश की गई है. अब देखना यह है कि लगातार निराशाजनक प्रदर्शन कर रही कांग्रेस पार्टी के लिए यह प्रयोग कितना कामयाब होता है.


यूपी में कांग्रेस पार्टी बृजलाल खाबरी के जरिए प्रदेश में दलित समाज को पार्टी जोड़ने के कवायद में जुटेगी. बृजलाल खाबरी पार्टी में आक्रामक दलित नेता के तौर पर जाने जाते हैं. बतौर अध्यक्ष उनके कंधों पर प्रदेश भर में दलित समाज को जोड़ने की बड़ी जिम्मेदारी होगी. उधर महराजगंज के फरेंदा विधायक विरेंद्र चौधरी को पूर्वांचल के जिलों का कार्यभार सौंपा गया है. उनके कंधों पर खासतौर से फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बस्ती, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और कुशीनगर में कुर्मी जाति को पार्टी से जोड़ने का दारोमदार होगा. 


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इन नेताओं के जरिए जातीय समीकरण साधने की तैयारी
इसी तरह प्रयाग जोन में पूर्व मंत्री अजय राय को जिम्मेदारी मिली है. भूमिहार जाति से आने वाले अजय राय मजबूत छवि के नेता रहे हैं. भूमिहार बिरादरी में अजय राय पूरब से पश्चिम तक अच्छी पैठ रखते हैं. अवध और बुंदेलखंड जोनों में प्रांतीय अध्यक्षों की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री नकुल दुबे और योगेश दीक्षित की होगी. 2007 में मंत्री रहे नकुल दुबे और योगेश दीक्षित दोनों ही ब्राह्मण जाति से आते हैं. प्रदेश में एक वक्त था जब ब्राम्हण वोटबैंक पर कांग्रेस पार्टी का एकाधिकार था. लेकिन धीरे-धीरे यह सरकता चला गया और अब इस वोटबैंक का ज्यादातर हिस्सा सत्ताधारी बीजेपी के साथ जाता है. 


पश्चिम में प्रांतीय अध्यक्ष का जिम्मा एक वक्त मायावती के खासमखास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को दिया गया है. वहीं ब्रज क्षेत्र में अनिल यादव को जिम्मेदारी दिया गया है. पार्टी के रणनीतिकारों की मानें तो जातीय समीकरण के लिहाज से कांग्रेस ने एक मजबूत चक्रव्यूह की रचना की है. मगर मौजूदा स्थिति में लगभग गर्त में जा चुकी कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव के पहले निकाय चुनाव में ही इस प्रयोग का परीक्षण हो जाएगा.


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