UP Congress Chief: बुंदेलखंड के जालौन जिले में एक तहसील कोंच हैं. बृजलाल, कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गांव के रहने वाले हैं. बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. बात 1977 की है. खाबरी गांव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था. एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा. तब नौवीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ने गुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुंच गये. दरोगा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुकदमा दर्ज करवा दिया. यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये. रोजाना थाने और कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते-भिड़ते दिखने लगे.


छात्र राजनीति में लोकप्रिय छात्र नेता
जालौन के डीएवी पीजी कालेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे. छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे. दो बार चुनाव लड़े लेकिन कुछ वोटों से हार गए.


‘दलित मिशन’ के लिए छोड़ दिया घर बार
इलाके के लोग बताते हैं कि कांशीराम एक बार कैडर देने उरई आए थे. कैडर देने का मतलब प्रशिक्षण होता है. बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा जोर था. बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर-बार छोड़ दिया. 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये. अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया.


बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के बतौर शायद ही यूपी का कोई जिला रहा हो जहां काम न किया हो. गोरखपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई जिलों में प्रभारी के बतौर काम किया है. कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मजबूत करेगा. हालांकि इस बार यूपी में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रांतीय अध्यक्ष बनाकर नई रणनीति पर काम किया है.


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