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UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों पर बीजेपी का दांव? पीएम मोदी के क्षेत्र में बनाई ये रणनीति

UP Nagar Nikay Chunav 2023: बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में दिल खोलकर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने अलीगढ़ के 18 निकायों में 347 पदों पर कुल 20 मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा है.

UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव को बीजेपी 2024 का सेमीफाइनल या कहें रिहर्सल मानकर चुनावी मैदान में है. ऐसे में पार्टी इस चुनाव में कुछ रणनीतिक प्रयोग 2024 को ध्यान में रखते हुए भी कर रही है. इसी में से एक प्रयोग है निकाय चुनाव में विभिन्न पदों के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने का. खास बात यह है कि इन मुस्लिम प्रत्याशियों में करीब 90 फीसदी पसमांदा समाज से आते हैं. पसमांदा समाज के बीच बीजेपी पिछले साल भर से योजनाबद्ध ढंग से पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. पार्टी का लक्ष्य इस निकाय चुनाव में सभी 17 नगर निगम में महापौर बनाने के साथ अन्य सीटों पर भी अधिक से अधिक प्रत्याशी जिताने के साथ 2024 के लोकसभा में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का है. निकाय चुनाव के दोनों चरण में 760 नगरीय निकायों में 14,684 पदों पर चुनाव होना है.

निकाय चुनाव में बीजेपी ने 395 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें 6 नगर पालिका परिषद और 32 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी हैं. इसके अलावा 100 पार्षद प्रत्याशी भी इस लिस्ट में शामिल हैं. इसके साथ ही 257 मुस्लिम प्रत्याशी नगर पालिका और नगर पंचायत के सदस्य पद के लिए उतारे गए हैं. कुल मुस्लिम प्रत्याशियों में करीब 90 फीसदी पसमांदा समाज से हैं. इन प्रत्याशियों को जिन सीटों पर उतारा गया वह ऐसी मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं जहां या तो पूर्व में बीजेपी को प्रत्याशी ही नहीं मिले या फिर प्रत्याशी तो उतरा लेकिन वह कमल नहीं खिला पाया. कुल मिलाकर बीजेपी इन सीटों पर चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी है. पार्टी का मानना है कि मुस्लिमों में पसमांदा समाज को अन्य दलों ने सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया. इस वर्ग के लोगों को टिकट देने में भी कंजूसी की गई. कहीं न कहीं बीजेपी इस कदम से मुसलमानों खासकर पसमांदाओं को बड़ी संख्या में अपने पाले में लाना चाहती है.

योगी-मोदी के क्षेत्र में बीजेपी के मुस्लिम प्रत्याशी
बीजेपी इस चुनाव को लेकर कितना गंभीर है इस बात से अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने पीएम मोदी और सीएम योगी के क्षेत्र में भी मुस्लिम प्रत्याशी देने में कंजूसी नहीं की है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी नगर निगम में 4 वार्ड में मुस्लिम उम्मीदवारों को पार्षद का टिकट दिया गया है. वहीं सीएम योगी के क्षेत्र गोरखपुर में भी मुस्लिम समाज के लोगों को पार्षद का टिकट दिया गया है. गोरखपुर बस्ती मंडल के 7 जिलों में 4 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है.

पश्चिमी यूपी में दिल खोलकर उतारे मुस्लिम प्रत्याशी 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं. यहां सपा और रालोद का गठबंधन ऐसी सीटों पर विशेष चुनौती है. ऐसे में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में दिल खोलकर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. पार्टी ने अलीगढ़ के 18 निकायों में 347 पदों पर कुल 20 मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा है. इनमें नगर निगम के 90 वार्ड में से 19 पार्षद पदों पर मुस्लिम प्रत्याशी हैं, जिसमें 15 पसमांदा समाज से हैं. इसी तरह बरेली नगर निगम में पार्षद पद की 6 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. मुरादाबाद जिले में 3 निकायों में अध्यक्ष पद के लिए मुस्लिम प्रत्याशी उतारे गए हैं. नगर निगम के पार्षद पद के लिए 14 प्रत्याशियों में 11 पसमांदा समाज से हैं.


- अमरोहा में 3 नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए मुस्लिम प्रत्याशियों में से 2 पसमांदा हैं.
- रामपुर में अध्यक्ष पद के 4 प्रत्याशियों में 2 पसमांदा हैं.
- संभल में अध्यक्ष पद के 11 मुस्लिम प्रत्याशियों में 5 पसमांदा हैं. यहां पार्षद पद के लिए 14 में से 11 पसमांदा चुनाव लड़ रहे हैं.
- मेरठ में 21 मुस्लिमों को टिकट दिया गया और यह सभी पसमांदा समाज से हैं.
- बिजनौर में कुल 169 प्रत्याशियों में 64 मुस्लिम हैं जिसमें अधिकतर पसमांदा समाज से आते हैं.
- सहारनपुर नगर निगम में 13 मुस्लिम पार्षद पद के प्रत्याशियों में 7 पसमंदा हैं.
- बागपत के 9 नगर निकायों में बीजेपी ने एक अध्यक्ष और 11 सदस्य पदों पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया, जिसमें 7 सदस्य प्रत्याशी पसमांदा हैं.

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि पसमांदा समाज को आगे लाने और मुख्यधारा से जोड़ने का काम बीजेपी कर रही है. सपा, पसमांदा का वोट लेती रही, उनके दम पर सरकार बनाती रही, लेकिन जब उनको प्रतिनिधित्व देने का समय आता तो सबसे कम टिकट सपा ने दिए. हमारी सरकार की विभिन्न योजनाओं में करीब साढ़े 4 करोड़ लाभार्थी पसमांदा समाज से हैं. हजारों की संख्या में अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने बीजेपी से टिकट मांगे थे. बीजेपी ने इनमें से जिताऊ और टिकाऊ कैंडिडेट्स को टिकट दिया. जब ये जीत कर आएंगे तो सपा, बसपा और कांग्रेस की धर्म, जाति, मजहब, दंगों की राजनीति पर तमाचा होगा. इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी हर बूथ पर कमल खिलेगा.

मायावती ने क्या कहा था अल्पसंख्यक वोट पर
वैसे बसपा की निगाह भी अल्पसंख्यक वोटबैंक पर है. बसपा अध्यक्ष मायावती भी अल्पसंख्यकों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. मायावती ने ट्वीट कर कहा कि "यूपी निकाय चुनाव के अन्तर्गत 17 नगर निगमों में मेयर पद के लिए हो रहे चुनाव में बीएसपी द्वारा मुस्लिम समाज को भी उचित भागीदारी देने को लेकर यहां राजनीति काफी गरमाई हुई है, क्योंकि उससे खासकर जातिवादी एवं साम्प्रदायिक पार्टियों की नींद उड़ी हुई है. बीएसपी ’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की नीति व सिद्धान्त पर चलने वाली अम्बेडकरवादी पार्टी है तथा उसी आधार पर यूपी में चार बार अपनी सरकार चलाई. मुस्लिम व अन्य समाज को भी हमेशा उचित प्रतिनिधित्व दिया. अतः लोगों से अपने हित पर ज्यादा व विरोधियों के षडयंत्र पर ध्यान न देने अपील."

मायावती के इस ट्वीट पर भी कुंवर बासित अली ने पलटवार किया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मायावती का नारा सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का नहीं है, बल्कि उनका नारा सबको सताए, सबको रुलाये और नीचे बैठाए का है. बासित ने कहा कि मायावती ने हमेशा जातिवाद और मजहब की राजनीति की है.

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