Samajwadi Party Alliance News: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और अपना दल कमेरावादी के बीच अलायंस टूट गया है. समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने खुद इसकी घोषणा की. हालांकि इस रिश्ते में दरार एकाएक नहीं आई है. इसकी नींव इस साल फरवरी में यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के दौरान ही पड़ गई थी. अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल, समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं और उन्होंने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मात दी थी.


हालांकि फरवरी में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव और फिर विधान परिषद् चुनावों में अपना दल कमेरावादी की नाराजगी खुल कर सामने आ गई.  राज्यसभा चुनाव में तो पल्लवी पटेल ने आखिरी वक्त तक यह सस्पेंस बनाए रखा था कि वह वोट करेंगी भी या नहीं. और अगर करेंगी तो किसे? वोटिंग खत्म होने में जब 2-2.30 घंटे बाकी थे तब वह मतदान करने निकलीं और सपा के प्रत्याशी रामजी लाल सुमन को मतदान किया था.


राज्यसभा चुनाव के दौरान नाराजगी इस हद तक बढ़ गई थी कि सपा नेता द्वारा आहूत डिनर में भी नहीं पहुंचीं थीं. पल्लवी इस बात से नाराज थीं कि सपा प्रमुख पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की बात तो करते हैं लेकिन जब मौका देने की बारी आती है तो कुछ चुनिंदा लोगों को ही प्रत्याशी बनाया जाता है. 


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बीत गया राज्यसभा और फिर...
राज्यसभा चुनाव तो जैसे तैसे बीत गया और पल्लवी ने सपा के प्रत्याशी को प्राथमिकता का मतदान भी कर दिया लेकिन सूत्रों का दावा है कि अपना दल कमेरावादी चाहता था कि उसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल को भी किसी सदन में भेजा जाए. सूत्रों का दावा है कि विधान परिषद् चुनाव में भी सपा द्वारा तरजीह न दिए जाने को लेकर अपना दल कमेरावादी में नाराजगी थी.


इसके बाद बारी आई लोकसभा चुनाव की. कुछ दिन पहले तक माना जा रहा था कि अपना दल कमेरावादी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस यूपी में साथ चुनाव लड़ेंगे और सीट शेयरिंग कर लेंगे. जब सपा ने कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया, उसके बाद से ही अपना दल कमेरावादी इसको लेकर सक्रिय हो गया और अपनी सीटों पर भी चर्चा की मांग की.


सिर्फ 1 सीट दे रही थी सपा?
सूत्रों के मुताबिक सपा, अपना दल कमेरावादी को सिर्फ 1 सीट देना चाहती थी लेकिन पल्लवी पटेल की पार्टी 3 सीटों की मांग कर रही थी. बुधवार को जब अपना दल कमेरावादी की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर तीन सीटों पर दावा ठोंका गया तब भी यह माना जा रहा था कि पल्लवी पटेल की पार्टी, सपा पर सीट शेयरिंग को लेकर प्रेशर बना रही है. हालांकि सपा ने उसी दिन बुधवार को मिर्जापुर  से जब अपना प्रत्याशी उतार दिया, तब अपना दल कमेरावादी का दांव उल्टा पड़ गया. 


इन सबके बीच यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि अखिलेश यादव ने भले ही प्रेस वार्ता में कहा हो कि 2022 में गठबंधन था, 2024 में है लेकिन वह भी अधूरी बात कह गए. दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में जब निकाय चुनाव हुए तभी से अपना कमेरावादी, रालोद और सपा के रास्ते अलग होने शुरू हो गए. करीब 1 साल बाद अखिलेश यादव ने सिर्फ औपचारिक रह गए इस अलायंस के सस्पेंस को भी खत्म कर दिया


अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा प्रमुख के ऐलान पर पल्लवी पटेल की प्रतिक्रिया क्या होगी और आगामी लोकसभा चुनाव में उनका रुख अब क्या होगा?