Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस (ShriRamcharitmanas) और ब्राह्मणों पर अपने बयान को लेकर विवाद पैदा कर दिया है लेकिन अपने स्टैंड पर भी कायम हैं. इतना ही नहीं वह हर दिन कुछ ऐसा बोल जा रहे हैं जो विवाद को हवा देने का काम कर रहा है. अब रविवार को ही स्वामी प्रसाद ने एक और टिप्पणी की है. उन्होंने पूछा, 'किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? लिखने वालों ने तो नहीं कहा कि यह धार्मिक ग्रंथ है.'

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, 'गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता.अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता. जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ों और महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं. किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? लिखने वालों ने तो नहीं कहा कि ये धार्मिक ग्रन्थ है. तुलसीदास ने तो नहीं कहा.  बीजेपी कोई नया काम तो करती नहीं है. पुराने कामों में नए नाम की प्लेटें लगाती है.'

कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं बदलता चाल - स्वामी प्रसादअपनी बात पर कायम रहते हुए स्वामी प्रसाद ने ट्विटर का भी सहारा लिया. उन्होंने ट्वीट किया, 'धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूंगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा.'

https://twitter.com/SwamiPMaurya/status/1619574489754517504

लगातार बयान दे रहे हैं स्वामी प्रसादरामचरितमानस की चौपाइयों पर आपत्ति जताने के साथ ही स्वामी प्रसाद ब्राह्मणों पर भी आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल कर चुके हैं जिसपर विरोधी दलों ने कड़ा एतराज जताया है. सत्तारूढ़ बीजेपी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से इस मामले में जवाब मांग रही है वहीं सपा के भीतर ही कुछ लोग स्वामी प्रसाद को लेकर आपत्ति जता चुके हैं लेकिन पार्टी की तरफ से कुछ आधिकारिक बयान नहीं आया है. वैसे अखिलेश और स्वामी प्रसाद ने विवाद के बीच मुलाकात भी की, लेकिन बताया जा रहा है कि यह केवल पार्टी की रणनीति पर चर्चा के लिए की गई मुलाकात थी. इतना ही नहीं अखिलेश ने उन्हें रविवार को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी भी दे दी है.

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