प्रयागराज. देशभर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. सरकारी मदद से शौचालयों का भी निर्माण कराया जा रहा है. हालांकि, यूपी में पुलिस थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय की ये रिपोर्ट चौंकाती है. आपको जानकार हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के ज्यादातर पुलिस थानों में महिलाओं के अलग शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. गिनती के जिन थानों में अलग शौचालय हैं भी, वह सरकारी बजट से नहीं, बल्कि निजी प्रयासों से तैयार हुए हैं. हालांकि इनमे से भी ज्यादातर इतनी बदतर हालत में हैं कि उनका इस्तेमाल शायद ही कभी होता है. थानों में अलग शौचालय ना होने से महिला फरियादियों से लेकर महिला पुलिसकर्मियों तक को अक्सर ही शर्मसार होना पड़ता है.


1425 थानों में एक भी महिला शौचालय नहीं
यूपी में इस वक्त 1425 पुलिस थाने हैं. इनमे से सरकारी तौर पर किसी भी थाने में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं है. ऐसा नहीं है कि थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय की समस्या पर कभी गौर नहीं किया गया. तकरीबन 20 बरस पहले साल 2001 में तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार ने 394 थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय बनाए जाने को मंजूरी देते हुए बजट पास कर दिया था. हैरानी की बात है कि दो दशक बीत जाने के बाद भी इन 394 में से किसी भी एक थाने में शौचालय निर्माण का काम नहीं हो सका है. सरकारी अमले ने अब हाईकोर्ट में यह हलफनामा दिया है कि 20 साल पहले मंजूर हुए अलग शौचालयों में से 51 का निर्माण कार्य प्रगति पर है. यह कब पूरा होगा और होगा भी या नहीं, इस बारे में 20 साल बाद भी कोई भी जिम्मेदार कुछ बता पाने को तैयार नहीं है.


हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
लगातार हाइटेक हो रही पुलिसिंग और पुलिस फोर्स में महिलाओं की बढ़ती संख्या के बावजूद थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से इस बारे में फौरन जरूरी कदम उठाने को कहा है. हाईकोर्ट तो इस मामले को लेकर इतना सख्त है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उसने सरकार से न सिर्फ जल्द से जल्द काम शुरू कराने को कहा है, बल्कि 16 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में उस एजेंसी का नाम बताने को भी कहा है, जिसे निर्माण का काम सौंपा जाना है. हाईकोर्ट ने इसे लेकर बेहद तल्ख टिप्पणियां भी की हैं.


अदालत ने साफ कहा है कि थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय का काम तुरंत शुरू होना चाहिए. सरकार पूरा ब्यौरा और निर्माण एजेंसी का नाम 16 मार्च को अगर नहीं बताती है तो सूबे के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा.


12 छात्राओं ने किया समस्या को उजागर
दरअसल, देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटी और लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई कर रही 12 छात्राओं की टीम ने अपना प्रोजेक्ट वर्क तैयार करते हुए इस समस्या को उजागर किया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट कमल कृष्ण राय के निर्देश पर इंटर्नशिप करते हुए इन छात्राओं ने प्रयागराज शहर के 17 पुलिस थानों का मुआयना किया. छात्राओं ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि 17 में से सिर्फ पांच थानों में ही महिलाओं के लिए अलग शौचालय हैं. बाकी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती तो है, लेकिन उनके लिए अलग शौचालय का कोई इंतजाम नहीं है. वह या तो कॉमन टॉयलेट का इस्तेमाल करती हैं या फिर कहीं दूसरी जगह फ्रेश होती हैं. सीनियर वकील और ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के अध्यक्ष कमल कृष्ण राय की सलाह पर इन छात्राओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका यानी पीआईएल दाखिल की.


प्रयागराज शहर के जिन पांच थानों में अलग शौचालय थे. उनमें से महिला थाना, सिविल लाइंस और कर्नलगंज की स्थिति ठीक थी और यह शौचालय इस्तेमाल होने लायक थे, जबकि अतरसुइया और शाहगंज थानों के महिला शौचालय बदतर हालत के चलते कतई इस्तेमाल के लायक नहीं थे. छात्राओं की टीम ने दरियाबाद, राजापुर, खुल्दाबाद, थार्नहिल रोड, लूकरगंज, नीवा, मालवीय नगर, साउथ मलाका, लीडर रोड समेत तकरीबन तीन दर्जन पुलिस चौकियों का भी मुआयना किया, लेकिन चौकियों में महिलाओं को पुरुषों के लिए भी अलग या कोई कॉमन शौचालय भी नहीं था.


पीआईएल दाखिल करने वाली लॉ इंटर्न अंजलि पांडेय, अनुप्रिया और प्रगति यादव का कहना है कि पुलिस थानों में अब ना सिर्फ पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा महिलाओं की तैनाती हो रही हैं, बल्कि महिला फरियादियों की संख्या भी काफी बढ़ गई है. ऐसे में अलग शौचालय ना होने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


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