लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शासन प्रशासन और लोग भले ही मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, खान मुबारक विजय मिश्रा, बदन सिंह बद्दो जैसे अपराधियों को जानते हों प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोग किलर ब्रदर्स के नाम से कांप जाते हैं. तिहाड़ जेल से आया फोन राजधानी लखनऊ के किसी भी व्यापारी के लिए जान जाने की तरह हो जाता है. तिहाड़ जेल में बंद सलीम, सोहराब और रुस्तम से निपटना पुलिस के बाहर की बात हो जाती है लिहाजा पुलिस ने अब इन सीरियल किलर ब्रदर्स की अवैध संपत्तियों पर शिकंजा कसना शुरू किया है.


इनके नाम से दहशत खाते हैं लोग
साल 2005 में एसएसपी लखनऊ को फोन कर ट्रिपल मर्डर को अंजाम देने वाले कैंट के लकड़ी मोहाल के रहने वाले सलीम, सोहराब, रुस्तम के नाम से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के व्यापारी दहशत खाते हैं. इनके नाम तमाम दुस्साहस वारदातें दर्ज हैं. हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी वसूली, सुपारी किलिंग सीरियल किलर ब्रदर्स हर वो काम करते हैं जिससे पैसा आता है. डेढ़ दशक से कभी लखनऊ, उन्नाव रायबरेली, सुल्तानपुर तो अब तिहाड़ जेल में बंद इन तीनों भाइयों ने क्राइम के कारोबार में पैसा तो खूब कमाया लेकिन उस पैसे को अपने गुर्गों के नाम धंधे में लगा दिया.


संपत्तियों को खंगाल रही है पुलिस
लिहाजा, अब लखनऊ पुलिस ने सलीम, सोहराब और रुस्तम के गुर्गों के नाम संपत्तियों को खंगालना शुरू कर दिया है. राज मंडल, शानू, शकील अहमद, सुब्बी, मेहंदी अब्बास, शहजादे, कालिया, अनवर उर्फ अन्नू, मोहम्मद ओवैस, अकरम, रेहान, अकील अंसारी, राजू गैस वाला ये वो लोग हैं जो लखनऊ पुलिस के दस्तावेजों में सलीम सोहराब रुस्तम के खास हैं और इनकी संपत्तियां असल में किलर ब्रदर्स की ही है.


ये है परेशानी
लखनऊ पुलिस ने मुख्तार अंसारी, खान मुबारक के बाद अब मुख्तार के गुर्गे सलीम, सोहराब और रुस्तम की अवैध संपत्तियों की लिस्ट बनाना शुरू कर दिया है. लेकिन, इस लिस्ट में पुलिस के सामने चुनौती भी आ गई है. दरअसल, सलीम अपनी पत्नी और लखनऊ कैंटोनमेंट बोर्ड की पूर्व चेयरमैन अंजुम आरा को तलाक दे दिया है. लेकिन अंजुम आरा के नाम पर लखनऊ में तमाम बेशकीमती संपत्तियां दर्ज हैं. लिहाजा पुलिस अंजुम आरा की संपत्तियों पर भी कार्रवाई करने के लिए कानूनी दांवपेच समझ रही है.


किलर ब्रदर्स की वारदातें


- राजधानी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सीरियल किलर ब्रदर्स के नाम से कुख्यात सलीम, सोहराब और रुस्तम के नाम पर ऐसी दुस्साहसिक वारदातें दर्ज हैं कि जिनको सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं. ये वारदातें किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं लगती हैं. बात 2004 की है जब रमजान के पाक महीने में सलीम सोहराब रुस्तम के चौथे सबसे छोटे भाई शहजादे की लखनऊ के हुसैनगंज इलाके में कुछ स्थानीय दबंगों ने हत्या कर दी. भाई की हत्या का बदला सलीम, सोहराब और रुस्तम ने ठीक उसी दिन लिया जब ठीक एक साल पहले शहजादे को मौत के घाट उतारा गया था.


- सलीम, सोहराब और रुस्तम ने भाई के हत्यारों को महज एक घंटे के अंदर हुसैनगंज खतरा और मड़ियांव इलाके में जाकर मौत के घाट उतार दिया था. इतना ही नहीं इन तीनों भाइयों के दुस्साहस का ही नतीजा था कि वारदात को अंजाम देने के बाद इन भाइयों ने तत्कालीन एसएसपी लखनऊ आशुतोष पांडे को फोन कर वारदात की जानकारी भी दी थी.


- तिहरे हत्याकांड के बाद से सीरियल किलर ब्रदर्स के नाम से कुख्यात हुए सलीम, सोहराब और रुस्तम ने अपराध की दुनिया में वसूली, हत्या, सुपारी किलिंग को अंजाम देना शुरू किया. दिल्ली में दिनदहाड़े ज्वेलरी शोरूम में डाका डाला तो वहीं वजीरगंज इलाके में बसपा सरकार के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारी और समाजसेवी सैफी की दिनदहाड़े हत्या कर दी. अखिलेश यादव की सरकार आई तो अमीनाबाद में बीजेपी पार्षद पप्पू पांडे की अपने खास गुर्गे सुनील शर्मा से हत्या करवा दी. पप्पू पांडे की हत्या के पीछे सिर्फ लखनऊ में कम होते खौफ को कायम करने और रंगदारी बढ़ाने की मंशा थी.


- संभल के पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के नाती की चौक इलाके में गोलियों से भून कर हत्या करवा दी गई. वजह थी सलीम, सोहराब और रुस्तम के परिवार की महिला से मारे गए फैज की नजदीकियां बढ़ने लगी थीं.


इन वारदातों के अलावा सलीम, सोहराब और रुस्तम ने लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी से लेकर दिल्ली में तक व्यापारियों से रंगदारी वसूली और रंगदारी न देने पर जान से मारने की नीयत से हमले करवाए. तिहाड़ जेल में रहने के बावजूद सलीम, सोहराब, रुस्तम अपराध की दुनिया में अपने रसूख को कायम किए रहे और मामूली घटनाओं में पेशी के जरिए कई बड़ी साजिशों को रचा और अंजाम दिलवाया. बताया जा रहा है कि सलीम, सोहराब और रुस्तम पर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी वसूली, डकैती जैसी जघन्य वारदातें शामिल हैं.



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