प्रयागराज: मध्यप्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन ने पिछले साल संगम नगरी प्रयागराज में लगे दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले कुंभ में मौत को मात दी थी. आधी रात को टंडन चारों तरफ से आग की लपटों से घिर गए थे. उनका मोबाइल, घड़ी, चश्मा और ब्रीफकेस सब कुछ जलकर राख हो गया था, लेकिन आग की लपटें उन्हें छू तक नहीं सकी थीं. एक चिंगारी भी उनके पास नहीं फटक सकी थी. हालांकि, आग जितनी भयानक थी और उसने जिस तरह की तबाही मचाई थी, उसमें पूरी तरह सुरक्षित बच पाना कतई किसी अजूबे से कम नहीं था. लालजी टंडन उस वक्त बिहार के गवर्नर थे.


मेले में ही रुके टंडन
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर पिछले साल 14 जनवरी से 50 दिनों के कुंभ मेले की शुरुआत हुई थी. देश दुनिया से तकरीबन 50 करोड़ श्रद्धालु आस्था के इस मेले गंगा के संगम में डुबकी लगाने के लिए आए थे. राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति और पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई नामचीन वीआईपी हस्तियां भी इस मेले में शामिल हुईं थीं. 10 फरवरी को शाही स्नान का सिलसिला खत्म होने के बाद वीआईपी श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई थी. उस वक्त के बिहार के गवर्नर लालजी टंडन 12 फरवरी को कुंभ मेले में आए थे. टंडन शहर में रुकने के बजाय मेले में ही रुके थे.



जल गया सामान
लालजी टंडन को सेक्टर 20 के अरैल इलाके की त्रिवेणी टेंट सिटी की वीआईपी कॉटेज कॉलोनी में ठहराया गया था. रात करीब पौने तीन बजे इस टेंट सिटी में अचानक आग लग गई. कपड़ों और घास-फूस से बने कॉटेज धू-धूकर जलने लगे. बिजली के शार्ट सर्किट से लगी आग के बाद पावर सप्लाई भी ठप हो गई. जब तक कोई कुछ समझता तब तक आग की लपटें लालजी टंडन के कॉटेज तक भी पहुंच गईं. टंडन जी उस वक्त गहरी नींद में सोए हुए थे. शोर सुनकर वो फौरन कॉटेज से बाहर आ गए. सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तुरंत एक गाड़ी में बिठाकर बाहर निकाला. आग इतनी तेजी से फैली कि लालजी टंडन को अपना मोबाइल, चश्मा, घड़ी, कपड़े और ब्रीफकेस उठाने का भी मौका नहीं मिला. आग की लपटों को देखकर उनके सुरक्षाकर्मियों ने भी उनका सामान बचाने की कोई कोशिश नहीं की थी. इसके बाद लालजी टंडन को रात के वक्त ही शहर के सर्किट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया.



विचलित नहीं हुए थे लालजी टंडन
दरअसल, आग जिस वक्त विकराल रूप धारण कर रही थी, तभी लालजी टंडन टॉयलेट जाने के लिए उठे थे. अगर वक्त रहते उनकी आंख न खुलती तो उनको बचाना काफी मुश्किल होता और कोई अनहोनी हो सकती थी. मौत को मात देकर नई जिंदगी पाने के बाद भी लालजी टंडन कतई विचलित नहीं हुए थे. वो अगले दिन फिर से मेले में आए और सहज दिखे. अगले दिन ही तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी कुंभ मेले में आना था. लालजी टंडन ने साल 2001 में प्रयाग में आयोजित महाकुंभ मेले के आयोजन में अहम भूमिका निभाई थी. वो उस वक्त यूपी सरकार में नगर विकास समेत कई विभागों के कैबिनेट मंत्री थे. मेले के आयोजन में उनके विभागों की भूमिका बेहद अहम थी.


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