लखनऊ: मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन निधन का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है. समर्थकों और शुभचिन्तकों के बीच 'बाबूजी' के नाम से लोकप्रिय लालजी टंडन का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं की सूची में शुमार है. उनका राजनीतिक करियर कई दशकों लंबा रहा, जिसमें उन्होंने राज्य में मंत्री बनने से लेकर कई राज्यों का राज्यपाल बनने तक का सफर तय किया. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर के नेता टंडन लोकसभा सांसद भी रहे और मौजूदा समय में मध्यप्रदेश के राज्यपाल थे.


'बाबूजी' के नाम से लोकप्रिय टंडन
'बाबूजी' के नाम से लोकप्रिय टंडन 2009-14 में लखनऊ लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए. उस समय खराब स्वास्थ्य के चलते अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा था. मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उन्होंने 29 जुलाई 2019 को शपथ ली थी. इससे पहले 23 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक वह बिहार के राज्यपाल थे.


मध्यप्रदेश की सियासत में निभाई अहम भूमिका
टंडन जब मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने, तब वहां कांग्रेस सरकार थी. मार्च में वहां राजनीतिक उठा-पटक, कांग्रेस के सत्ता से बाहर जाने और भाजपा के सत्ता में आने के पूरे घटनाक्रम में टंडन की भूमिका काफी चर्चा में रही थी. मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से मार्च में 6 मंत्रियों सहित 22 विधायकों ने बगावत कर दी और इस्तीफा दे दिया. ये सभी पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते थे.



साफ हुई भाजपा सरकार बनने का रास्ता
जब कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण में देरी की तो मंझे हुए प्रशासक और राजनेता के रूप में टंडन ने सरकार से कहा कि वह विधानसभा में बहुमत साबित करे. इसके बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच पत्राचार का सिलसिला चलता रहा, जो बाद में कानूनी लड़ाई में तब्दील हो गया. अंत में सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण में टंडन के निर्देश के पक्ष में फैसला सुनाया. कमलनाथ सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे से अल्पमत में आ गई और सरकार गिर गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता तैयार हुआ.


कोरोना काल में दी सेवाएं
लगभग इसी समय देश भर में वैश्विक कोरोना महामारी फैली और अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी लॉकडाउन लगा. इस दौरान टंडन ने जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए राजभवन की रसोई खोल दी. साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में टंडन शैक्षिक संस्थानों की नियमित निगरानी करते रहे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि किसी भी कीमत पर शिक्षण के मानदंड बने रहें.


12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में हुआ जन्म
टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ के चौक में हुआ था. स्नातक करने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. पहली बार वह 1978 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने. ऊपरी सदन में वह दो बार 1978-1984 और उसके बाद 1990-1996 के बीच चुने गए. टंडन 1996 से 2009 के बीच तीन बार विधायक चुने गए और 1991-92 में पहली बार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री बने. उस समय उनके पास उर्जा विभाग था.



बसपा-भाजपा की गठबंधन सरकार में रहे मंत्री
उत्तर प्रदेश में भाजपा के दमदार नेता माने जाने वाले टंडन ने बसपा-भाजपा की गठबंधन सरकार में बतौर शहरी विकास मंत्री अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने कल्याण सिंह सरकार में भी बतौर मंत्री अपनी सेवाएं दी थीं. टंडन का विवाह 1958 में कृष्णा टंडन से हुआ था. उनके तीन बेटे हैं. उनमें से एक आशुतोष टंडन इस समय उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री हैं.


यह भी पढ़ें:



UP: गाजियाबाद में अगर अब से मास्क पहनने नहीं दिखे लोग, तो देना होगा 500 रुपये का जुर्माना


Corona Virus in UP: होम आइसोलेशन को लेकर गाइडलाइन जारी, जानिए शर्तें