मेरठ. बिल्डर संजीव मित्तल से नोटबंदी के बाद 25 करोड़ की पुरानी करेंसी बरामद हुई थी. आयकर विभाग ने बिल्डर पर 42 करोड़ का जुर्माना लगाया है. विभाग बिल्डर पर अब तक 200 करोड़ का जुर्माना लगा चुका है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब तक का आयकर विभाग का सबसे बड़ा जुर्माना बताया जा रहा है.


दरअसल, देश में हुई नोटबंदी के बाद मेरठ के परतापुर में दिसंबर 2017 में बिल्डर संजीव मित्तल के ठिकाने पर छापेमारी हुई थी. छापेमारी में 25 करोड़ की पुरानी करेंसी बरामद हुई थी. पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करते हुए चार लोगों को जेल भी भेजा था. हालांकि, संजीव मित्तल फरार हो गया था. इस मामले की आयकर विभाग व ईडी लगातार जांच कर रहा है. आयकर विभाग ने आरोपी बिल्डर के ऊपर अब तक 200 करोड़ का जुर्माना लगाया है.


संजीव मित्तल ने बाद में हाईकोर्ट से अरेस्टिंग स्टे हासिल कर लिया था. आयकर विभाग ने इस मामले में संजीव मित्तल की करीब 600 करोड़ की संपत्ति व उनके सभी बैंक अकाउंट सीज कर दिए थे. संजीव मित्तल की करीब 7 कंपनियों को आयकर विभाग ने जांच के घेरे में लिया था. उस समय बताया जा रहा था कि संजीव मित्तल उद्योगपतियों से पुरानी करेंसी लेकर उनको नेपाल के रास्ते बदलवाने का जिम्मा लेता था. आयकर विभाग ने इस मामले में जांच करते हुए पहले संजीव मित्तल पर 158 करोड़ का जुर्माना लगाया और अब 42 करोड़ का जुर्माना और लगाया है. संजीव मित्तल पर आयकर विभाग की कार्रवाई में अब तक कुल 200 करोड़ का जुर्माना भरने के निर्देश दिए गए हैं. 


संजीव मित्तल की सफाई
उधर, संजीव मित्तल का कहना है कि जिस ऑफिस से 25 करोड़ की पुरानी करेंसी बरामद की गई थी. वह ऑफिस उन्होंने किराए पर दे रखा था, जिसके कारण उन्हें इस 25 करोड़ की रकम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने सफाई देते हुए खहा कि उनके सभी बैंक अकाउंट व संपत्ति भी आयकर विभाग ने सीज कर दी है ऐसे में वह जुर्माने की इतनी बड़ी रकम कैसे चुका सकते हैं.


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