गोल्‍डन गर्ल आदित्‍या यादव का उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर (Gorakhpur) रेलवे स्‍टेशन पहुंचने पर लोगों ने भव्‍य स्‍वागत किया है. ढोल-नगाड़ों के बीच गोरखपुर में भव्‍य स्‍वागत से आदित्‍या के साथ उसके परिवार के लोग भी अभिभूत हैं. ब्राजील में 5 मई को हुए मैच में महज 12 साल की आदित्‍या ने निर्णायक मैच में जापान को हराकर भारत को गोल्‍ड मेडल दिलाया. ये पहला मौका है जब बैडमिंटन की टीम ने डेफ ओलंप‍िक में भारत के लिए पहली बार गोल्‍ड मेडल यानी स्‍वर्ण पदक हासिल किया है. डेफ ओलम्पिक में आदित्‍या के गोल्‍ड मेडल जीतने से कोच‍ पिता और परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं है. उनकी इस उप‍लब्धि पर सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने भी उन्‍हें बधाई दी है.


बोल और सुन नहीं सकती है
यूपी के गोरखपुर के मैत्रीपुरम कालोनी के रहने वाले रेलवे में बैडमिंटन के कोच दिग्विजय नाथ सिंह भी बैडमिंटन के खिलाड़ी रहे हैं. दो भाई-बहनों में सबसे छोटी 12 साल की आदित्‍या ने ब्राजील में चल रहे डेफ ओलंपिक में गुरुवार 5 मई को तड़के गोल्‍ड मेडल हासिल कर भारत का नाम स्‍वर्णिम अक्षरों में लिख दिया. आदित्‍या के पिता दिग्विजय नाथ यादव बताते हैं कि वे बिटियों के स्‍वागत से अभीभूत हैं. वो ढाई साल की रही है, तब पता चला कि वो बोल और सुन नहीं सकती है. इसके बाद उन्‍होंने 5 साल की उम्र में उसे खिलाड़ियों की तरह रैकेट पकड़े देखा, तो उसे इस खेल में आगे बढ़ाया.


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पहला मैच जीता भारत
ब्राजील में 1 मई से शुरू हुए डेफिलिंपिक में 2 मई को भारत ने टीम चैंपियनशिप में आगाज किया. पहले मैच में भी फ्रांस के खिलाफ भारत ने 4-1 से प्रतियोगिता जीती. उसमें भी उद्घाटन मैच मिक्स डबल्स में आदित्या यादव ने अपने जोड़ीदार रोहित भाकर के साथ खेला. पहला मैच 21-15, 17-21, 21-16 से जीतकर भारत को मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलाई. प्री क्वार्टर फाइनल में 3 मई को ब्राजील के खिलाफ आदित्या को खेलने का मौका नहीं मिला. उसमें भारत ने 5-0 से ब्राजील को शिकस्त दी. क्वार्टर फाइनल में तुर्की के खिलाफ भारत ने पहले ही तीन-एक से मुकाबला जीत लिया, जिसके कारण पांचवां मैच जो आदित्या को खेलना था, उस मैच की जरूरत ही नहीं पड़ी.


पिता ने क्या कहा
गोरखपुर के राजेन्‍द्र नगर के श्रीविक्रम चंद्र मूक-बधिर विद्यालय में कक्षा 8 में पढ़ने वाली आदित्‍या के पांव पालने में ही दिखाई देने लगे. अब तक उसे दर्जनों मेडल और पुरस्‍कार मिल चुके हैं. पिता दिग्विजय ने सीएम योगी आदित्‍यनाथ को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि, आदित्‍या की तरह हर बच्‍चे को आगे बढ़ने के लिए सरकार सपोर्ट करे, वे यही चाहते हैं. आदित्‍या भारत के लिए सामान्‍य ओलंपिक में भी स्‍वर्ण पदक लाना चाहती है. यही उसका सपना है, जिसे वो पूरा करके दिखाएगी. उन्‍हें गर्व हो रहा है कि सैयद मोदी के बाद उनकी बेटी ने बैडमिंटन खेलकर डेफ ओलंपिक में गोल्‍ड मेडल लाकर गोरखपुर के साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है.


गोल्डन गर्ल नाम पड़ा
आदित्या के जन्म के ढाई साल बाद पता चला कि उनकी बेटी सुन बोल नहीं सकती है. इसके बाद एक पिता होने की वजह से दिग्विजय की मुसीबत कई गुना बढ़ गई. दिग्विजय यही सोचते थे कि अब अपनी इस बेटी के लिए क्या करें. दिग्विजय बताते हैं कि एक दिन जब आदित्या ने रैकेट पकड़ा उसके पकड़ने के ढंग से ये लगा कि वो खेल सकती है. 5 साल की उम्र में आदित्या खेलने जाने लगी. फिर क्या एक साल बाद ही आदित्या अपने से अधिक एज के खिलाड़ियों को मात देने लगी. वहीं जिस टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करती वो जीतकर आती. इस लिए छोटी सी उम्र में आदित्या का नाम गोल्डन गर्ल पड़ गया.


मिले ये पुरस्कार
आदित्‍या के भव्‍य स्‍वागत के बीच गोरखपुर जिला बैडमिंटन संघ के अध्‍यक्ष राजित श्रीवास्‍तव ने 51 हजार रुपए का पुरस्‍कार, महराजगंज बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्‍यक्ष राजेश कुमार गुप्‍ता ने 51 हजार रुपए, लेविंस एकेडमी के प्रबंधक रेमी चन्‍द्रा ने 51 हजार रुपए का पुरस्‍कार देने की घोषणा की है. वहीं लेविन चन्‍द्रा ने 25 हजार रुपए का रैकेट पुरस्‍कार में देने की घोषणा की है. 


भव्य स्वागत किया गया
गोल्डन गर्ल आदित्या यादव के प्रथम नगर आगमन पर धरा धाम इंटरनेशनल परिवार के सदस्यों और धरा धाम प्रमुख सौहार्द शिरोमणि डॉ. सौरभ पांडेय के नेतृत्व में गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर आदित्य यादव का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया गया. इस अवसर पर विक्रम चंद, मूक-बधिर विद्यालय के परामर्शदाता डॉक्टर एहसान अहमद, विद्यालय के प्रबंधक डॉ. अमृत लाल सक्सेना, युवा साहित्यकार समाजसेवी शायर ई. मिन्नत गोरखपुरी, राजेंद्र सिंह सूर्यवंशी, आसिया सिद्दीकी, हाफिज मोहम्मद रिफातुल्लाह, श्रीधर मणि पांडेय, सम्राट परमेश्वर सिंह, गुरु बाबा, हाजी जलालुद्दीन कादरी सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे.


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