Ghaziabad: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से स्टांप चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है. यहां नगर निगम से डिजिटल होर्डिंग के जरिये विज्ञापन करने के लिए ठेका लेने वाली कंपनी मैसर्स मीडिया 24/7 एडवरटाइजिग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अब स्टांप चोरी के मामले में फंस गई है. कंपनी पर आरोप है कि उसने सौ रुपये के स्टांप पेपर पर नगर निगम से ठेके के लिए अनुबंध किया और पांच करोड़ रुपये के स्टांप की चोरी की है. इस मामले में कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. 

 

दरअसल गाजियाबाद शहर में 15 साल डिजिटल होर्डिंग के जरिये विज्ञापन करने के लिए नगर निगम ने मैसर्स मीडिया 24/7 एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका दिया है. इसको लेकर पहले से ही विवाद है और ये मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा है. इस बीच ठेका लेने वाली कंपनी अब स्टांप चोरी के मामले में फंस गई है.

 

ऐसे पकड़ में आया मामला

 

गाजियाबाद नगर निगम द्वारा मैसर्स मीडिया नाम की इस विज्ञापन कंपनी से किए गए अनुबंध को लेकर सवाल उठे थे. इस मामले की जानकारी जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह को हुई तो उन्होंने सहायक महानिरीक्षक निबंधन कृष्ण कुमार मिश्र को मामले की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए. सहायक महानिरीक्षक ने उप निबंधक द्वितीय को जांच सौंपी, उन्होंने नगर निगम से विलेख लेकर जांच की तो पता चला कि विलेख में चार करोड़ से अधिक के स्टांप शुल्क में कमी है.

 

इसके साथ ही निबंधन शुल्क में भी एक करोड़ रुपये की कमी पाई गई. इस संबंध में रिपोर्ट सौंपे जाने पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. इस मामले में विज्ञापन कंपनी के अधिकारियों से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका.

 

नगर निगम के अधिकारी भी सवालों में

 

इस मामले में नगर निगम के अधिकारी भी सवालों के घेरे में हैं. सवाल है कि नगर निगम ने महज सौ रुपये के स्टांप पेपर पर अनुबंध क्यों किया. इससे पहले भी नगर निगम के अधिकारी मोरटा में डंपिग ग्राउंड बनाने के लिए जमीन के मालिक से किए गए अनुबंध के मामले में भी फंसे थे, उन पर स्टांप शुल्क में चोरी का आरोप लगा था. इस मामले में जब सिटी कमिश्नर महेंद्र सिंह तवर से बात की गई तो उन्होंने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए. उनका कहना था कि, "स्टांप मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. रही बात टेंडर की तो वो नियमों के हिसाब से किया गया है."

 

वहीं इस मामले में एआईजी स्टांप केके शर्मा ने कहा कि, "डीएम के द्वारा उन्हें जांच सौंपी गई थी जिसके बाद उन्होंने सब रजिस्ट्रार को इसका ज़िम्मा दिया था. उन्होंने निगम में जाकर मामले की जांच की, जिसमें निगम की तरफ से लापरवाही सामने आई है. निगम को इस में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसका मतलब साफ है कि वो निजी कंपनी को फायदा पहुंचा रहा है. इस मामले में कंपनी को नोटिस जारी किया जाएगा और उनसे पैसे जमा कराने के लिए कहा जाएगा.

 

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