जानें- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने क्यों कहा कि सरकार के पास नहीं है कर्मचारियों का वेतन रोकने का अधिकार
उत्तराखंड उच्च न्यायालय राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को ये अधिकार नहीं है कि वो कर्मचारीयो का वेतन रोके. ये संविधान के अनुच्छेद 14,19,21, 300A मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
Uttarakhand High Court News: उत्तराखंड उच्च न्यायालय में रोडवेज कर्मचारियों को पिछले 6 माहीने से वेतन नहीं दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य सचिव, वित्त सचिव, परिवहन सचिव, महानिदेशक परिवहन, एडवोकेट जनरल और मुख्य स्थायी अधिवक्त उपस्थित हुए. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जो 34 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री ने स्वीकृत किए हैं, उसको आज या कल तक निगम को दें. साथ ही न्यायालय ने कर्मचारियों के भविष्य में वेतन दिए जाने पर कहा कि एक पूरा प्रपोजल बनाकर आगामी कैबिनेट मीटिंग में रखें, जिससे ये समस्या बार-बार ना आने पाए.
4 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
खंडपीठ ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि सरकार को ये अधिकार नहीं है कि वो कर्मचारियों का वेतन रोके. ये संविधान के अनुच्छेद 14,19, 21और 300A समेत मानवाधिकार आयोग का खुला उल्लंघन है. न्यायालय ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि पूर्व में न्यायालय ने केंद्र सरकार के परिवहन मंत्रालय को निर्देश दिए थे कि दोनों राज्यों की परिसंपत्तियों के बंटवारे के लिए दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक कर निर्णय लें. परन्तु, अभी तक उस पर कुछ भी नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि तीन माह के भीतर दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिव बैठक कर इस मामले में निर्णय लें. उत्तराखंड को बने 21 साल होने को हैं अभी तक बंटवारा नहीं हो पाया है जबकि अभी केंद्र और दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 अगस्त की तिथि निर्धारित की है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
सरकार को लगाई फटकार
आज सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने परिवहन सचिव से पूछा कि 34 करोड़ रुपये आपको मिले या नहीं जिसपर उनके द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अभी नहीं मिले. सरकार ने 34 करोड़ रुपये जारी करने का जीओ पास कर दिया है, जिस पर कोर्ट ने आज या कल में सरकार से 34 करोड़ रुपये रिलीज करने को कहा. सुनवाई के दौरान निगम की तरफ से कोर्ट के सम्मुख ये भी कहा गया कि जब तक निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो जाती तब तक कर्मचारियों को 50 प्रतिशत वेतन दिया जाए. जिस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वो कर्मचारियों के वेतन में कटौती करे. ये संविधान के अनुच्छेद 14,19,21, 300A मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
सरकार एस्मा लगाने जा रही है
मामले के अनुसार उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है. सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है. सरकार और परिवहन निगम की तरफ से ना तो संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है और ना उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है, उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है. रिटायर कर्मचारियों के देयकों भुगतान नहीं किया गया है. यूनियन का सरकार और निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है, उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है.
वेतन तक नहीं दिया गया है
याचिका में कहा गया है कि सरकार की तरफ से निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है. वहीं, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी निगम को 700 सौ करोड़ रुपया देना है. ना तो राज्य सरकार निगम को उनका 45 करोड़ रुरये दे रही है ना ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए मांग रही है, जिस वजह से निगम ना तो नई बसें खरीद पा रहा है और ना ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए कार्य किया जा रहा है. फरवरी माह से वेतन तक नहीं दिया गया है.
ये भी पढ़ें:
मिट्टी खोद रही महिलाएं ढेर में दबीं, रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर तीन को बचाया गया एक की मौत
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets