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UP Politics: क्या मंडल-कमंडल की राजनीति पर बढ़ रहे हैं अखिलेश यादव? सपा के सहयोगी रहे दलों ने भी उठाए सवाल
Swami Prasad Maurya Controversy: रामचरितमानस विवाद के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य का प्रमोशन हो गया है. ऐसे में कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या अखिलेश यादव 2024 में मंडल-कमंडल के एजेंडा पर बढ़ेंगे.
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Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस विवाद पर घिरे स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय महासचिव बनाकर प्रमोशन कर दिया है. जिसे लेकर सियासी घमासान भी छिड़ा हुआ है. बीजेपी (BJP) तो इसे लेकर सपा पर निशाना साध ही रही है अब सपा के सहयोगी रहे दल भी रामचरितमानस (Ramcharitmanas) के अपमान और स्वामी के सम्मान को लेकर सपा (SP) पर सवाल उठा रहे हैं.
रामचरितमानस पर मौर्य के बयान के बाद बीजेपी की तरफ से सपा पर जोरदार हमले हुए लेकिन सपा ने इसे उनका व्यक्तिगत बयान कहकर पल्ला झाड़ लिया. विवादों के बीच करीब 5 दिन बाद अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी कार्यालय बुलाया उनके साथ बैठक की. बैठक के बाद स्वामी प्रसाद ने कहा कि वो अपने बयान पर कायम हैं. इसके बाद लखनऊ में धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने गए अखिलेश यादव का बीजेपी युवा मोर्चा ने विरोध किया जिस पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी उन्हें शूद्र समझती है.
मंडल-कमंडल की राजनीति को दी हवा
अखिलेश यादव ने जब शूद्र वाला बयान दिया तो सियासी गलियारो में चर्चा शुरू हो गई कि क्या सपा एक बार फिर से मंडल-कमंडल की राजनीति पर उतर आई है. क्या 2024 के लिए सपा अब इसी रणनीति पर आगे बढ़ेगी और इन सब के बीच जब सपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट जारी हुई तो उसमें इस बात को और पुख्ता कर दिया क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर अखिलेश यादव ने उनका पार्टी में प्रमोशन कर दिया. जिसके बाद अब बीजेपी सपा पर सीधा हमला कर रही है.
इस पूरे विवाद में जब अखिलेश यादव ने खुद को शूद्र कहा और स्वामी प्रसाद मौर्य को प्रमोशन दिया तो ये साफ हो गया कि सपा अब जातीय गोलबंदी के सहारे चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है और इसीलिए जातीय जनगणना के आंदोलन को स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए धार देने की उनकी तैयारी है. हालांकि करहल में अखिलेश यादव ने कहा कि वह राम को भी मानते हैं और रामचरितमानस का भी सम्मान करते हैं.
सपा के पुराने सहयोगियों ने भी उठाए सवाल
एक तरफ तो अखिलेश यादव राम चरित मानस के सम्मान की बात कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ उसका अपमान करने वाले को ही सम्मान देकर वह सियासी गुणा गणित में जुटे हैं, अब ना केवल बीजेपी बल्कि सभी समाजवादी पार्टी के सहयोगी रहे अन्य दल भी अखिलेश यादव पर निशाना साध रहे हैं. महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य तो साफ तौर पर कह रहे है कि यह विनाश काले विपरीत बुद्धि है अखिलेश यादव दो नावों पर सवार हैं. इससे सपा को नुकसान होगा.
केशव देव मौर्य के अलावा सपा के पुराने सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा भी अखिलेश यादव के फैसले को लेकर उन पर निशाना साध रहे हैं. सुभासपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का साफ तौर पर कहना है कि समाजवादी पार्टी अब समाप्त होने की ओर है.
समाजवादी पार्टी ने विकास के मुद्दे पर कई चुनाव लड़ कर देख लिया है और परिणाम उसके सामने है. इसीलिए अब शायद पार्टी ने अपनी रणनीति बदली है और अब कोशिश कहीं ना कहीं जातीय गोलबंदी के सहारे 2024 साइकिल की रफ्तार बढ़ाने की तैयारी की गई है.
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