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Ustad T-24: 8 साल की कैद के बाद 'रणथम्भौर के राजा' उस्ताद T-24 की मौत, पैर में कैंसर से था पीड़ित
Ranthambore Tiger Death: डॉक्टर ने बताया कि उस्ताद T-24 बाघ के पिछले दाएं पैर की हड्डी बढ़ रही थी. वह चल तो पा रहा था, लेकिन वह टांग उठा कर चलता था, जिसमें दर्द था. इसलिए उसका इलाज चल रहा था.
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Ustad T-24 Death: रणथंभौर का राजा उस्ताद टाइगर T-24, जिसकी एक झलक पाने के लिए पर्यटक घंटों इंतजार करते थे, वह अब दुनिया में नहीं रहा. उदयपुर के बायोलॉजिकल पार्क में टी-24 ने बुधवार दोपहर को अंतिम सांस ली. इंसानों पर हमला करने और उन्हें मारने के कारण उसे रणथंभौर के खुले जंगल से उदयपुर के बायोलॉजिकल पार्क में लाया गया था, जहां एक हेक्टेयर एनक्लोजर में पिछले 8 साल से कैद था.
लंबे समय से पैर में कैंसर होने के कारण टाइगर परेशानी से जूझ रहा था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. वन विभाग डीएफओ ने एबीपी को बताया कि दोपहर करीब 3.00 बजे टाइगर ने अंतिम सांस ली है. अभी उसका पोस्टमार्टम किया जा रहा है और फिर अंतिम संस्कार किया जाएगा. पैर में कैंसर के कारण वह तकलीफ से गुजर रहा था और उसका इलाज भी चल रहा था.
टाइगर T-24 को हड्डियों का कैंसर था
बायोलॉजिकल पार्क के डॉक्टर हंस कुमार जैन ने बताया था कि उस्ताद T-24 के पिछले दाएं पैर में हड्डी बढ़ रही थी. वह चल तो पा रहा था लेकिन पिछला एक पैर उठाकर चल रहा था क्योंकि उसमें दर्द था. जयपुर के वरिष्ठ डॉक्टर्स की टीम उसका इलाज कर रही थी. दर्द निवारक दवाइयां भी दी जा रही थीं, लेकिन डोज ज्यादा नहीं दे सकते, इसलिए अब आगे के उपचार की सलाह भी ली थी.
जानें कौन है उस्ताद T-24
वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, रणथंभौर के टी-20 (झूमरू) और टी-22 (गायत्री) के मिलन पर T-24 उस्ताद साल 2005 में पैदा हुआ था. रणथंभौर में उस्ताद की संगिनी टी-39 (नूर) थी. उस्ताद रणथंभौर में 9-10 साल तक रहा, जहां लोग सिर्फ उसे ही देखने आते थे. यह इतना अच्छा दिखाए देने वाला बाघ था कि लोग स्पेशल इसे ही देखने के लिए आते थे. उस्ताद की साइटिंग अक्सर टाइग्रेस नूर के साथ होती थी. दोनों की दहाड़ मीलों तक सुनाई देती थी.
फिर ऐसे बदली जिंदगी और मिली उम्र कैद
विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार, उस्ताद ने जुलाई 2010, मार्च 2012 में दो ग्रामीणों और अक्टूबर 2012 में रणथंभौर के फॉरेस्ट गार्ड पर हमला किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. वहीं, 8 मई 2015 को उस्ताद ने रणथंभौर के फॉरेस्ट गार्ड रामपाल सैनी को मार दिया था. यहां से उसकी जिंदगी बदल गई. इसके बाद से उस्ताद की पहचान और ज्यादा बढ़ गई. फिर उसे रणथंभौर से शिफ्ट करने की कवायद शुरू हुई और साल 2015 में ही उदयपुर सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भेजा गया. उस्ताद 60-100 वर्ग किमी एरिया से एक हैक्टेयर के एनक्लोजर में आ गया. समझ सकते हैं कि उम्रकैद हो गई.
बीच में उस्ताद को पेट की बीमारी ने भी जकड़ लिया था, जिसके लिए प्रदेश के बाहर से डॉक्टर को बुलाया था और इलाज हुआ. उसे अभी कीमा गर्म कर खिलाया जाता था. उस्ताद अजनबी को देखकर छिप जाता था, लेकिन विद्या की दहाड़ से खुश होता है. अधिकारियों ने बताया कि अन्य दो टाइगर कुमार और विद्या का होल्डिंग एरिया बंद भी कर देते हैं, लेकिन उस्ताद का नहीं करते. उस्ताद को फ्री छोड़ रखा था, जब मन चाहे होल्डिंग एरिया में आए या बाहर पिंजरे में ही रहे. उसके पिंजरे के पास ही टाइग्रेस विद्या का पिंजरा है. विद्या की दहाड़ सुनकर काफी खुश रहता था.
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