Udaipur News: राजस्थान से उदयपुर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. इसमें शिक्षा विभाग से जुड़े 368 शिक्षा अधिकारियों को विभाग ने एक साथ नोटिस थमाए हैं और उनके ऊपर कार्रवाई की भी बात कही है. यह अपने आप में पहला मामला माना जा रहा है जब एक साथ एक जिले में इतनी संख्या में अधिकारियों को नोटिस थमाये गए हैं.
दरअसल बताया जा रहा है इन्होंने राजकार्य में अनियमितता बरती है और सरकारी आदेशों का उनका उल्लंघन किया है. अब उनको इस मामले में विभाग को जवाब पेश करना होगा. अगर जवाब से संतुष्टि नहीं हुई तो इन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
इन्हें मिले नोटिस
शिक्षा विभाग ने अपने ही विभाग के पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) और अर्बन प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (यूसीईईओ) को नोटिस दिए गए हैं. दरअसल एक पंचायत पर एक पीईईओ होता है जो पंचायत के अंदर आने वाले सभी स्कूलों का नोडल अधिकारी होता है. इसी प्रकार शहरी एरिया में यूसीईईओ होता है जिसके अंदर वार्ड जे अनुसार स्कूल आते हैं. उदयपुर जिले में इनकी संख्या 556 है जिनमें से 368 को नोटिस जारी हुए हैं.
इसलिए हुए नोटिस जारी
जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी विरेंद्र यादव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जिले में प्रवेश उत्सव का प्रथम चरण 24 से 26 जून तक चला जिसमें आदेशानुसार शिक्षकों को हाउसहोल्ड सर्वे करवाना था. जिले के 17 ब्लॉक में हाउसहोल्ड सर्वे का कार्य प्रथम चरण जून के आखिरी सप्ताह में संपन्न हो चुका है, किंतु पीईईओ स्तर पर प्राप्त आंकड़ों की प्रविष्टि शिक्षा विभाग के शाला दर्पण पोर्टल पर नहीं की गई, जिससे शिक्षा विभाग की छवि धूमिल हो रही है.
368 की प्रविष्टि शाला दर्पण पर शून्य प्रदर्शित हो रही है जबकि इसको उन्हें बार-बार निर्देशित किया जा चुका है. आगामी गुरुवार तक काम पूरा करते हुए नोटिस का स्पष्टीकरण मांगा गया है. इस कार्य में दोषी पाए जाने पर लापरवाह अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी.
क्या होता है हाउसहोल्ड सर्वे
जब शिक्षकों से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि प्रवेश उत्सव के दौरान पंचायत स्तर पर संबंधित स्कूल के शिक्षकों को वार्ड अनुसार स्कूलों की जिम्मेदारी दी गई थी. इसमें शिक्षकों को घर-घर जाकर पता करना था कि 3-18 वर्ष के बच्चे कहां हैं. क्या 3-5 वर्ष के बच्चे आंगनवाड़ी में हैं या नहीं. 6-18 वर्ष के बच्चे स्कूल में है या नहीं. क्या कहीं ड्रॉपआउट तो नहीं है. इसकी जानकारी शाला दर्पण पोर्टल पर भरी जाती है.
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