Honeytrap Gang In Jaipur News: मेड़ता रोड पर रेल के आगे कूद कर जान देने वाले जयपुर निवासी गोपाल सिंह के मामले में रेलवे पुलिस की तफ्तीश में साइबर ठगों का गिरोह का खुलासा हुआ है. रेलवे जीआरपी पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि सोशल मीडिया पर साइबर ठगों का गिरोह वर्चुअल हनीट्रैप के जरिए लोगों को शिकार बना रहा था इस गिरोह ने गोपाल सिंह को हनीट्रैप किया और उससे ₹4 लाख रुपए वसूले और रुपए की मांग की गई तो गोपाल सिंह ने सुसाइड नोट लिख कर आत्महत्या कर ली.


रेलवे पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो गोपाल सिंह के क्षतिग्रस्त मोबाइल से साइबर ठगों का खुलासा हुआ. मेवात गैंग द्वारा फर्जी अश्लील वीडियो से सोशल मीडिया पर वीडियो कॉल कर अगले व्यक्ति को वीडियो रिकॉर्ड कर उसके स्क्रीनशॉट भेज कर रुपए मांगने के खेल को अंजाम देने वाले गैंग में शातिर युवक अनपढ़ हैं लेकिन उसे आज की टेक्नोलॉजी का पूरा ज्ञान है.


जीआरपी पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए हनी ट्रैप के लिए शिकार को फर्जी सिम से वीडियो कॉल करते हैं इनके पास जितनी भी सिम मिली है वह सभी सिम असम की एक्टिवेट सिम हैं जो कि पंद्रह सौ से ₹2000 में इनको मिल जाती है उसी सिम नंबर से यह बैंक अकाउंट भी खोल लेते हैं.


उन्होंने बताया कि ऐसी सुनसान जगह पर बैंकों के एटीएम खुले हुए हैं जो इस तरह के अपराधियों के सहयोग किया जाता है जिसमें अपराधी वारदात को अंजाम देते हैं गिरफ्तार आरोपियों में राहुल उर्फ हुगली पुत्र स्वरूप खान, निवासी जिला भरतपुर, रहमान खान उर्फ रहमु, हैदर अली पुत्र कमालुद्दीन शामिल हैं. उक्त गैंग के सदस्यों द्वारा सोशल मीडिया पर अपने खुद की लड़की के नाम की फेक प्रोफाइल बनाई जाती है.


कैसे बनाते हैं लोगों को अपना शिकार


जीआरपी पुलिस के मुताबिक इस प्रकार की ठगी में आपको सोशल मीडिया के प्लेट फार्म यानि वाटसअप, फेसबुक मैसेंजर और टेलीग्राम के माध्यम से आपके पास एक लडकी की वीडियो  कॉल आती है. जो पूर्व में उनके मोबाइल स्क्रीन पर अपलोड की हुई होती है और आपको लगता है कि लाइव वीडियो चल रही है.


जैसे ही आप लोग ये वीडियो देखना शुरू कर देंगे तभी से आपकी वीडियो  रिकोर्डिंग शुरू हो जाती है और आपकी छोटी सी गलती से आपको ये लोग शिकार बना लेते हैं. वीडियो  कॉल के दौरान अपराधी स्क्रीन सेवर एप्लीकेशन के माध्यम से हुई वीडियो कॉल को रिकार्ड कर लेते हैं. कुछ समय बाद आपके फेसबुक मैसेंजर पर या वाटसअप पर या फिर टेलीग्राम पर एक वीडियो आयेगा जिससे आपकी वीडियो भी शामिल है को वायरल करने एवं ऑनलाइन अपलोड करने की धमकी देकर डिलिट करवाने के नाम पर रूपये मांगकर आपको ब्लैकमेल करेंगे.


फिर आपके पास कॉल आयेगी यूट्यूब ऑफिस मुम्बई या फिर साइबर सेल या फिर क्राइम ब्रान्च के नाम से कि आपको अपना वीडियो  डिलिट करवाना है तो 32,500 या 27,500 या जो कुछ भी उनको उचित लगे मांगेगे. इसके पश्चात भी अपराधी पीछा नहीं छोड़ते हैं और वीडियो अपलोड होने के स्क्रीन शॉट भेजे जाते हैं यदि इन वीडियोज को डिलिट करवाना है तो रूपये जमा करवाने हेतु कहा जाता है. आप द्वारा पैसे नहीं देने पर आपको धमकी देंगे 24 घंटों में आपको पुलिस टीम उठा लेगी. हम रवाना हो गये हैं या फिर आपके फेसबुक मित्र या अन्य आपके जानकारी के नम्बरों पर वीडियो  भेजना शुरू कर देंगे.


अपराधी अपने पास रखते हैं फर्जी बैंक खाते, फर्जी मोबाइल सिम


इस प्रकार जब तक कोई पीड़ित व्यक्ति इन अपराधियों के मोबाइल नम्बर को ब्लॉक नहीं करता या विरोध नही करता जब तक अपराधियों द्वारा वीडियो  वायरल करने की धमकी देकर रूपये ऐंठे जाते हैं. अपराधी अपने पास फर्जी बैंक खाते एवं फर्जी मोबाइल सिम रखते हैं. इस प्रकार के फ्रॉड के शिकार ज्यादातर युवा होते हैं जो कई बार अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा / इज्जत को ध्यान में रखकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं. या फिर उनके खाते में पैसे डाल देते हैं.


 कई बार पीडित ब्लैकमेल से परेशान होकर सुसाइड कर अपनी जान तक दे बैठते हैं. इस प्रकार के फ्रॉड से बचने के लिये ऐसे  वीडियो ना देखे अगर शिकार बन गये हो तो घबराये नहीं और ना ही पैसे उनके खाते में डाले तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जानकारी दें अगर आपने उनके खाते में पैसे डाल दिये हैं तो तुरत साइबर हेल्प लाइन नम्बर 1930 पर कॉल कर या फिर http://www.cybercrime.gov.in पर जाकर रिपोर्ट दर्ज करे.


किस प्रकार करते हैं आपके मोबाइल नंबरों का कलेक्शन


1. फेसबुक अकाउंट पर उपलब्ध मोबाइल नम्बरों को अपने फोन में सेव करते है यदि उनमें वाटसएप चल रहा होता है तो वाटसएप पर फर्जी लड़की बनकर आमजन को फंसाते हैं.


2. इन अपराधियों द्वारा स्वयं द्वारा विभिन्न प्रकार के वाटसएप ग्रुप बनाकर इन ग्रुप के लिंक को फेसबुक / वाटसएप ग्रुप में सर्कुलेट करते हैं जिससे ग्रुप में जुड़ने हेतु ओपन इनवाईट का ओप्सन होता है जिसमें आमजन के जुड़ने से उनके वाटसएप मोबाइल नम्बर अपराधियों को प्राप्त हो जाते हैं.


3. पेईंग गेस्ट रूम नाम के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करते हैं जिससे जिनको रूकने/पढ़ने हेतु रूम की आवश्यकता होने पर पोस्टर पर उपलब्ध मोबाइल नम्बरों पर कॉल करते हैं जिसे अपराध अपने पास सेव कर लेते है एवं छोटी मोटी रकम भी एडवांस बुकिंग के नाम पर ऐंठ लेते हैं.


4. वाटसएप फेंडस एप्लीकेशन को अपने मोबाइल में डाउनलोड करते हैं. इस एप्लीकेशन के माध्यम से एक साथ एक सीरीज के 1 से 30,000 मोबाइल नम्बर सेव हो जाते हैं. ये नम्बर ओटोमेटिक मोबाइल में सेव हो जाते हैं तथा सेव मोबाइल नम्बर वाटसएप प्रोफाइल चेक करते हैं.


प्रोफाइल की फोटो अनुसार अपना शिकार बनाते हैं


1. आप सुनिश्चित करें कि आपके सोशल मीडिया अंकाउंट प्रोफाइल लॉक एवं सुरक्षित हैं. एवं स्ट्रांग पासवर्ड बनाये.


2. किसी भी अनजान मोबाइल नम्बरों से आये वाटसएप कॉल का उत्तर नहीं दें एवं उन वाट्सएप नम्बरों को ब्लॉक करें.


3. जब उपयोग में न हो तो अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और वेबकैम को बंद कर दें. 


4. सोशल मीडिया या डेटिंग वेबसाइटों पर अनजान व्यक्तियों से सावधान रहें जो बातचीत को तेजी से दूसरे प्लेटफॉर्म पर ले जाने की कोशिश करते हैं. 


5. जबरन वसूली करने वाले द्वारा मांगी गई फिरौती का भुगतान न करें.


6. अपराधी के साथ तुरंत बातचीत करना बंद करें.


7. जबरन वसूली करने वाले के साथ हुए सभी रिकार्ड सुरक्षित रखे.


8. इन अपराधियों द्वारा आपका वीडियो  डिलिट करने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं और धमकी दी जाती है कि यदि रूपये नहीं दिये तो वीडियो वायरल अथवा ऑनलाईन यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिया जायेगा. अपराधियों की धमकी से घबराये नहीं, ये अपराधी किसी भी प्रकार का वीडियो  वायरल नहीं करते हैं और ना ही यू-ट्यूब पर अपलोड करते हैं.


9. इस प्रकार की घटना होने पर तुरन्त साइबर अपराध हेल्पलाइन टोल फ्री नम्बर 1930 पर कॉल करें एवं http://www.cybercrime.gov.in पर शिकायत रजिस्टर करें.


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