Rajasthan Inflation Impact on Jails: लगातार बढ़ रही मंहगाई (Inflation) की मार का असर अब जेलों (Jails) पर भी नजर आने लगा है. कैदियों का औसतन खर्चा प्रति बंदी 3073 रुपए तक बढ़ गया है. महंगाई सिर्फ पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर तक सीमित नहीं रह गई है. महंगाई से सिर्फ रसोई का बजट ही नहीं बिगड़ रहा है बल्कि अब इसकी वजह से सरकारी खर्च का बजट भी बढ़ गया है. आलम ये है कि, अब जेलों में भी कैदियों का औसतन खर्चा बढ़ गया है. ये खर्च प्रति बंदी 3073 रुपये तक बढ़ा है. साल 2019 में प्रति बंदी सालाना खर्चा 9524 रुपए था, जो बढ़कर 2021 में 12597 रुपए हो गया है. 


क्या कहते हैं आंकड़े 
इस बीच देखने वाली बात ये है कि, कैदियों के खर्च का आने वाला बजट भी पूरा खर्च नहीं हो पा रहा है. जानकारी के अनुसार साल 2019-20 में प्रदेश की जेलों को 19.77 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जिसमें 14.67 करोड़ रुपये ही खर्च हुए. साल 2020-21 में 20.21 करोड़ रुपए दिए गए थे, लेकिन खर्चा 19.36 करोड़ रुपए हुआ. साल 2021-22 में 26.1 करोड़ रुपये का खर्चा मिला पर खर्च 17.84 करोड़ रुपए ही हुआ.


जेलों में बंदियों को क्या मिलता है
प्रत्येक बंदी को साल में पहनने के लिए दो जोड़ी यूनिफॉर्म मिलती है, जिसमें कुर्ता, पायजामा, टोपी, चड्डी बनियान और चप्पल शामिल होती हैं. खाने की डाइट चार्ट में सुबह चाय नाश्ता, इसके बाद खाने में दाल, सब्जी और चपाती, दोपहर में चाय, शाम को फिर दाल, सब्जी और चपाती, प्रत्येक रविवार को अलग अलग मिठाई के रूप में स्पेशल डाइट मिलती है. प्रदेश की जेलों की स्थिति पर नजर डालें तो प्रदेश की जेलों में इस वक्त अंडर ट्रायल बंदी 18 हजार हैं और सजायाफ्ता बंदियों की संख्या 5 हजार है. वहीं, 5 साल पहले इन्हीं जेलों में अंडर ट्रायल बंदियों की संख्या 14 हजार थी और सजायाफ्ता 6 हजार कैदी थे.


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