Jodhpur News: जोधपुर में नगर निगम उत्तर के द्वारा जारी की गई तंहापिर दरगाह के नव निर्माण से सम्बंधित ई-निविदा को प्रार्थी राजेंद्र सिंह ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रवीण सिंह चुंडावत ने पैरवी की. वहीं राज्य सरकार और नगर निगम की ओर से अधिवक्ताओं ने कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब के लिए समय मांगा. 


राजस्थान हाई कोर्ट के जज एम.एम.श्रीवास्तव और मदन गोपाल व्यास की खंड पीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार और निगम से पूछा कि क्या इस प्रकार कोई भी सरकार किसी भी धार्मिक स्थल के लिए राज्य कोष से पैसा दे सकती है? इसका जवाब अगली पेशी तक प्रस्तुत करें. निगम की और से कहा गया कि उक्त ई-निविदा कोई भी बिडर क्वालीफाई नहीं हुआ है और नई निविदा जारी करनी पड़ेगी. इस पर खंड पीठ ने प्राथी के अधिवक्ता को यह छूट दी है कि अगर निगम नई निविदा जारी करता है तो प्राथी नई स्टे याचिका दायर करने के लिये स्वतंत्र होगा और जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.


कोर्ट को कही ये बात


जनहित याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि निगम मंडोर की तन्हापीर मस्जिद की नई बिल्डिंग बना रही है, जो कि संविधान के विरुद्ध है. सरकार जनता के पैसों से किसी भी धर्म का प्रचार-प्रसार, रखरखाव या निर्माण आदि काम नहीं करवा सकती है. संविधान के अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी भी व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का टैक्स, किसी भी धर्म के प्रचार-प्रसार, रखरखाव या निर्माण के लिए नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संविधान की धर्म निरपेक्ष धारणा के विपरीत जोधपुर में तीन मंजिला नई तन्हापीर मस्जिद तैयार करवाना चाहती है, इसके लिए नगर निगम जोधपुर उत्तर द्वारा 6 अप्रैल 22 को ई-निविदा जारी की थी उसमें यह बताया गया था कि डेवलपमेंट कार्य किया जा रहा है कुछ एक दीवार टूटी हुई है उसको बनाया जाएगा. यह टेंडर 7 करोड़ 42 लाख रुपए का है जिसमें तीन मंजिला भव्य मस्जिद बनाई जानी है.


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