Baran News: बारां के अन्ता प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरों के रचित रस श्रंगार गीत ऐ रे सखी मेरे पिया घर आए, पर जब 23 वर्षीय नृत्यांगना शुभांगी गोयल प्रस्तुति देती हैं तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो हिलने का नाम नहीं लेते. कथक नृत्य के प्रति रूझान ने शुभांगी को मात्र 14 साल की उम्र में ही राष्ट्रपति की ओर से दिए जाने वाले नेशनल बालश्री अवार्ड का अधिकारी बना दिया. इसके तीन साल बाद इन्हें सन 2016 में प्रिंस फिलिप इंग्लैंड के नाम पर इंटरनेशनल पेग पिपुल अवार्ड में गोल्ड मेडल मिला.


मूलरूप से हरिद्वार निवासी शुभांगी के पिता अतुल गुप्ता बारां के एनटीपीसी अन्ता में एजीएम हैं. तीन साल की आयु से ही मां विभा गुप्ता ने बेटी को कथक नृत्य सिखाते हुए इसमें पारंगत करने की ठान ली थी. जिसके बाद शुभांगी ख्यातनाम गुरु रानी खानम से जुड़ी और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.


विदेशों में बटोंरी वाहवाही
शुभांगी ने फेस्टिवल ऑफ इंडिया की ओर से  कतर में अन्तराष्ट्रीय मंच सहित इसी संस्था की ओर से आयोजित पुराना किला एंव यूथ फेस्टिवल दिल्ली, झासी महोत्सव आदि जगह भी सारंगी, तबला, पखावज एवं हार्मोनियम वाद्य यंत्रों के साथ ठुमरी भजन की प्रस्तुति सहित उपज लही, आमद उठान, तिहाई, टुकड़ा एवं परन कला का प्रदर्शन कर च वाहवाही बटोरी. वहीं 26 जनवरी2021 को कर्तव्य पथ दिल्ली में सांस्कृतिक आयोजन का निर्देशन कर पुरस्कार प्राप्त किया. यह राजस्थान दिवस पर जयपुर और खेतड़ी में भी प्रस्तुति दे चुकी हैं.


कथक में की पोस्ट ग्रेजुएशन
शुभांगी ने कथक में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है साथ ही अभी साइक्लोजी की पढ़ाई कर रही हैं. वह वर्तमान में दावरी (यूपी) में कथक इंस्टीट्यूट चला विमंदित बालकों एवं अन्य महिलाओं को कत्थक नृत्य कला और योगा का प्रशिक्षण देती हैं. इन दिनों अन्ता आईं शुभांगी के अनुसार क में ताल एवं भाव दो घरमा होते हैं. जिसमें उन्होंने विलम्बित लय में पहचान बनाई है. अब उनका रुझान की और है जिससे कला और अध्ययन में सामजस्य बना रहे.


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