शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित संजय राउत के संपादकीय ने एक बार फिर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है. ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर बीजेपी द्वारा आयोजित कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए राउत ने बीजेपी को 'वंदे मातरम् का ठेकेदार' बताते हुए तीखी आलोचना की है.

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संपादकीय में कहा गया है कि बीजेपी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' पर चर्चा शुरू कराकर खुद के लिए मुश्किलें खड़ी कर ली हैं. राउत लिखते हैं कि जैसे ही यह मुद्दा संसद में आया, पूरे विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को 'राष्ट्रवाद पर झूठा ज्ञान बांटने वाला' करार देते हुए घेर लिया.

बीजेपी का स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं- संजय राउत

राउत ने तंज कसते हुए लिखा कि बीजेपी और संघ परिवार का स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं रहा. इनके शरीर पर स्वतंत्रता आंदोलन की एक खरोंच तक नहीं आई, फिर भी राष्ट्रवाद पर ज्ञान देना इनकी आदत बन चुकी है. उन्होंने याद दिलाया कि 1896 में जब युवा रवींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार 'वंदे मातरम्' गाया था, तभी यह गीत आंदोलन की आत्मा बन गया था.

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कांग्रेस ने दी वंदे मातरम् को पहचान- राउत

संपादकीय में आगे कहा गया कि जिस कांग्रेस ने 'वंदे मातरम्' को पहचान दी, उसी कांग्रेस से आज बीजेपी 'देशभक्ति का प्रमाणपत्र' मांग रही है. राउत ने आरोप लगाया कि बीजेपी के पूर्वज स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, उल्टे वे अंग्रेजों और मोहम्मद अली जिन्ना के साथ खड़े थे.

RSS शाखाओं में पहली बार कब गाया गया था वंदे मातरम्- राउत

राउत ने संघ से सवाल पूछा कि यदि उन्हें 'वंदे मातरम्' इतना प्रिय है, तो इसे आरएसएस शाखाओं में पहली बार कब गाया गया था और फिर ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि’ को शाखाओं का मुख्य गीत क्यों बनाया गया.

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर भी राउत ने व्यंग्य किया. संपादकीय में कहा गया कि "मोदी नेहरू से इतने परेशान हैं कि हर चर्चा का अंत नेहरू पर आरोप लगाकर ही करते हैं." प्रियंका गांधी द्वारा संसद में दिए गए बयान का भी उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जितने साल मोदी प्रधानमंत्री रहे, उससे ज्यादा साल नेहरू आजादी की लड़ाई में जेल में रहे.

विकास को छोड़ वंदे मातरम् पर उलझी हुई है बीजेपी

राउत ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि देश में बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा, हवाई सेवाओं की समस्याएं बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार 'वंदे मातरम्' पर बहस में उलझी हुई है.

उन्होंने आखिरी में लिखा कि भगत सिंह से लेकर अशफाक उल्लाह खान तक अनगिनत क्रांतिकारी 'वंदे मातरम्' बोलकर फांसी पर चढ़ गए, लेकिन उनमें बीजेपी का एक भी पूर्वज नहीं था. ऐसे में उनका राष्ट्रवाद पर ज्ञान बांटना हास्यास्पद है.

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