महाराष्ट्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए विशेष बैठकें आयोजित करने की घोषणा की है, यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर राज्य विधानमंडल में गरमागरम बहस और एक विवादास्पद बयान सामने आया. यह निर्णय ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के बाद लिया गया, जिसमें विभिन्न दलों के विधायकों ने 'कुत्तों के खतरे' के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी.
शहरी विकास राज्य मंत्री, माधुरी मिसाल ने चिंताजनक आंकड़े पेश किए. उन्होंने बताया कि अकेले मुंबई में अनुमानित 90,757 आवारा कुत्ते हैं, लेकिन बीएमसी द्वारा संचालित केवल आठ आश्रय स्थल हैं. राज्य के 29 नगर निगम क्षेत्रों में, लगभग 11.88 लाख आवारा कुत्ते हैं और केवल 105 आश्रय स्थल हैं.
'आवारा कुत्तों को पशु प्रेमियों के घरों में छोड़ देना चाहिए'
यह बहस तब और बढ़ गई जब बीजेपी विधायक महेश लांडगे ने समाधानों में बाधा डालने के लिए पशु प्रेमियों की आलोचना की और बताया कि पिछले तीन वर्षों में पुणे में एक लाख से अधिक कुत्ते के काटने के मामले सामने आए हैं. लांडगे ने एक उत्तेजक सुझाव देते हुए कहा, "कुत्तों को पकड़कर इन पशु प्रेमियों के घरों में छोड़ देना चाहिए." उनके इस बयान से बवाल मच गया.
सरकार ने की सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की बात
अन्य विधायकों ने भी निराशा व्यक्त की. भाजपा के अतुल भातखालकर ने खाली सरकारी ज़मीन पर अधिक आश्रय स्थलों की मांग की, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु ने कहा कि सार्वजनिक प्रतिनिधि भी असुरक्षित हैं और नसबंदी कार्यक्रमों के विरोध पर सवाल उठाया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने की बात कही, लेकिन विधायकों ने कड़ी असंतुष्टि व्यक्त की.
अंत में, मंत्री मिसाल ने सदन को आश्वासन दिया कि ठोस, कार्रवाई योग्य उपाय तैयार करने के लिए संबंधित विधायकों और अधिकारियों के साथ जल्द ही एक विशेष बैठक बुलाई जाएगी.