महाराष्ट्र के मंत्री प्रताप सरनाईक ने शिवसेना के भीतर वरिष्ठ नेताओं के सम्मान और पारिवारिक राजनीति पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि दिवंगत नेताओं और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का अपमान करना राज्य की संस्कृति और परंपरा के खिलाफ है.

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सरनाईक ने कहा, “मैं आज जो कुछ भी हूं बालासाहेब ठाकरे की वजह से हूं. एकनाथ शिंदे ने भी मेरे जैसे वरिष्ठ नेताओं को उचित सम्मान दिया, जबकि उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे को सीट देने के लिए सभी को दरकिनार कर दिया. यह बहुत ही गलत है. दिवंगत नेताओं के बारे में अगर कोई टिप्पणी करते रहेंगे तो यह महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपरा के खिलाफ है.”

सरनाईक ने धर्मवीर आनंद दिघे के बारे में बात करते हुए कहा कि वह सिर्फ इस जिले के नेता नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र के नेता थे. सरनाईक ने बताया कि आम जनता उन्हें बहुत प्यार करती थी और वह चौबीस घंटे लोगों की सेवा में लगे रहते थे.

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संजय राउत के बयान पर दी प्रतिक्रिया

उन्होंने कहा, “ऐसे आनंद साहब के बारे में अगर कुछ वक्तव्य संजय राउत करते रहेंगे तो गलत है. और रही बात वो सिंदूर फांसने की, देखिए संजय राउत को भी स्वर्गीय शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने सिंदूर लगाया इसलिए वो राज्यसभा के सदस्य बने. क्या उस दिन कोई आम स्व-शिवसैनिक नहीं था जो उस जगह पर बैठ सकता था? मगर नहीं, उस वक्त संजय राउत को उन्होंने उम्मीदवार के तौर पर सामने रखा और जीता खिलाया. मैं भी आम स्व-शिवसैनिक होकर काम करता था.”

सरनाईक ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “मगर स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने मुझे भी सिंदूर फांसा इसलिए मैं आज आमदार भी हूं और मंत्री भी हूं. और मंत्री होने का पूरा श्रेय हमारे एकनाथ शिंदे साहब को है. उन्होंने खुद के घर में, अपने बेटे या भाई को मंत्री नहीं बनाया, बल्कि कार्यकर्ताओं को स्थान दिया.”

उद्धव ने अपने बेटे को मंत्री बनाया- सरनाईक

उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में आई सरकार पर भी तंज कसा. सरनाईक ने कहा, “उद्धव ठाकरे साहब के नेतृत्व में जो सरकार आई थी, मैं सीनियर विधायक होने के बावजूद मंत्री नहीं बना, जबकि उनके बेटे आदित्य ठाकरे को मंत्री बना दिया गया. इसलिए आज एकनाथ शिंदे साहब का जितना भी गौरव करेंगे, उतना कम ही है. उन्होंने वास्तव में कार्यकर्ताओं को महत्व दिया.”

सरनाईक ने यह भी जोर देकर कहा कि लोगों को दिवंगत नेताओं की सेवा और उनके योगदान को समझना चाहिए. उन्होंने कहा, “जिनके बारे में आपको ज्यादा पता नहीं है, जो आनंद जी के सामने क्या किया इस जिले के लिए, क्या किया इस राज्य के लिए, उनके बारे में अगर ऐसी बातें उनके जबान से निकलती रहेंगी तो गलत है.”